नई दिल्ली। कोरोना वैक्सीन की पहली और दूसरी डोज लगवाने को लेकर दिल्ली एम्स (AIIMS) के निदेशक डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने इंडिया टीवी के साथ विशेष बातचीत में कई जरूरी बातें साझा की। डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने कहा कि 'अभी तक जो डेटा आईसीएमआर या एनआईवी से आया है वह यही बताता है कि एक डोज चाहे वह कोवैक्सीन की हो या कोवीशील्ड की, उससे हमें पर्याप्त प्रोटेक्सन मिलता है, लेकिन वायरस जैसे जैसे म्यूटेट करेगा तो इसमें बदलाव आ सकता है, क्योंकि हमें पता है कि वायरस एंटीबॉडी से बचने का प्रयास कर रहा है, इसलिए हो सकता है कि बाद में हमें वैक्सीन में बदलाव करना पड़े या बूस्टर डोज लगाना पड़े। लेकिन अभी तक जो डेटा है वह यही बताता है कि भारत में जो अभी तक के वेरिएंट है उनके खिलाफ एक डोज से प्रोटेक्शन तो मिलता ही है और 2 डोज से ज्यादा सुरक्षित हो जाते हैं।'
डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने आगे कहा कि वैक्सीन की दूरी डोज लगाने की अवधि की बात करें तो सारे आंकड़े देखे गए कि एक डोज से कितनी प्रोटेक्शन मिलती है, यह भी देखा गया कि दूरा डोज अगर आप 4 हफ्ते में लें तो बॉडी में एंटीबॉडी रिस्पॉन्स 50-60 प्रतिशत है लेकिन अगर 12 हफ्ते बात लें तो यह 80-90 प्रतिशत हो जाता है। इसलिए वैक्सीन की दूसरी डोज लगाने की अवधि बढ़ाई गई।