नई दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार शरजील इमाम को संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ 15 दिसंबर को न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में हिंसक प्रदर्शनों से संबंधित एक अलग मामले में सोमवार को दिल्ली पुलिस की एक दिन की हिरासत में भेज दिया। पुलिस ने बताया कि इस हिंसा मामले में एक अन्य आरोपी फुरकान ने अपने बयान में आरोप लगाया है कि उसे इमाम के भाषणों ने उकसाया था, जिसके बाद मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट गुरमोहन कौर ने यह आदेश दिया।
इस सिलसिले में इमाम के खिलाफ मामला दर्ज नहीं किया गया है। इमाम से अदालत में आधे घंटे तक पूछताछ के बाद अदालत ने उसे पुलिस हिरासत में दे दिया। अदालत ने कहा कि मामले में समुचित जांच के लिए इमाम को हिरासत में लेकर पूछताछ किया जाना आवश्यक है। पुलिस ने इससे पूर्व अदालत को बताया था कि फुरकान को एक सीसीटीवी फुटेज के आधार पर गिरफ्तार किया गया था जिसमें उसे एक कंटेनर ले जाते हुए देखा जा सकता है और कंटेनर में कथित तौर पर पेट्रोल था।
अपनी रिमांड अर्जी में पुलिस ने कहा कि गत वर्ष 15 दिसम्बर को नये संशोधित कानून के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए न्यू फ्रेंडस कॉलोनी में एस्कॉर्ट अस्पताल के निकट बड़ी संख्या में लोग एकत्र हुए थे। अर्जी में कहा गया है, ‘‘पुलिस ने भीड़ को कानून अपने हाथों में नहीं लेने की चेतावनी दी थी लेकिन वे सीएए विरोधी नारे लगाते रहे। लाठी डंडों से लैस अनियंत्रित भीड़ ने लोगों और निशाना बनाना शुरू कर दिया और वाहनों में तोड़फोड़ की।’’
पुलिस ने इमाम से पूछताछ करने और उसे गिरफ्तार करने के लिए अदालत से अनुमति मांगी। इसमें कहा गया है कि उन्हें उस स्थान की पहचान करने के लिए इमाम से पूछताछ की जरूरत है जहां उसने कथित भड़काऊ भाषण दिये थे। मामले में 16 दिसम्बर को चार लोगों को गिरफ्तार किया गया था और उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था। फुरकान को बाद में गिरफ्तार किया गया था। यहां जामिया मिल्लिया इस्लामिया और अलीगढ़ में भड़काऊ भाषण देने के आरोप में इमाम को 28 जनवरी को बिहार के जहानाबाद से गिरफ्तार किया गया था।
इमाम के खिलाफ 26 जनवरी को देशद्रोह और अन्य आरोपों में मामला दर्ज किया गया था। पिछले वर्ष 15 दिसंबर को संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ एक प्रदर्शन के दौरान जामिया मिल्लिया इस्लामिया के पास न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में पुलिस के साथ हुए संघर्ष में प्रदर्शनकारियों ने चार सार्वजनिक बसों और दो पुलिस वाहनों को जला दिया था। इस घटना में छात्रों, पुलिसकर्मियों और दमकलकर्मियों समेत लगभग 60 लोग घायल हो गए थे। पुलिस ने उग्र भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया था और आंसू गैस के गोले छोड़े थे। पुलिसकर्मी यह कहते हुए जामिया परिसर में प्रवेश कर गए थे कि दंगाई वहां छिपे हैं। हालांकि जामिया छात्रों ने इस बात से इनकार किया कि वे हिंसा में शामिल थे। छात्रों ने पुलिस बर्बरता का आरोप लगाया था।