नयी दिल्ली: आईआरसीटीसी होटल आवंटन धनशोधन मामले में राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी और पुत्र तेजस्वी को आरोपियों के तौर पर समन किया जाए या नहीं, इस पर मंगलवार को दिल्ली की एक अदालत ने अपना आदेश 17 सितंबर तक सुरक्षित रख लिया। विशेष न्यायाधीश अरुण भारद्वाज ने कहा कि आरोपपत्र पर संज्ञान लेने से पहले प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दायर दस्तावेजों पर गौर करने के लिए अदालत को समय चाहिए। ईडी के विशेष लोक अभियोजक अतुल त्रिपाठी ने अदालत से कहा कि आरोपी लोगों को समन करने के लिए प्रथम दृष्टया मामला बनता है।
एजेंसी ने धनशोधन निवारण कानून के तहत दायर आरोपपत्र में राजद सदस्य पीसी गुप्ता और उनकी पत्नी सरला गुप्ता, कंपनी लारा प्रोजेक्ट्स और 10 अन्य के भी नाम लिए हैं। इनमें आईआरसीटीसी के तत्कालीन प्रबंध निदेशक पीके गोयल भी शामिल हैं। एजेंसी ने कहा कि यादव और आईआरसीटीसी के अधिकारियों ने पुरी और रांची में दो रेलवे होटलों का सब-लीज अधिकार विनय कोचर और विजय कोचर के स्वामित्व वाली कंपनी सुजाता होटल प्राइवेट लिमिटेड को देने के लिए अपने पदों का कथित तौर पर दुरुपयोग किया। कोचर का पटना में चाणक्य होटल भी है।
एजेंसी के अनुसार होटलों के सब-लीज के बदले, पटना में एक महंगा भूखंड फरवरी 2005 में डिलाइट मार्केटिंग कंपनी प्राइवेट लिमिटेड को सर्किल दरों से काफी कम दर पर स्थानांतरित किया गया था। यह कंपनी पीसी गुप्ता के परिवार के स्वामित्व की है। सांसद गुप्ता राजद प्रमुख के करीबी सहयोगी रहे हैं।