नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को कहा कि कॉरपोरेट कर में कटौती का मकसद नया निवेश आकर्षित करना और रोजगार पैदा करना है। उन्होंने कहा कि इस दिशा में शुरुआती संकेत मिलने लगे हैं। कई विदेशी और घरेलू कंपनियों ने निवेश में रुचि दिखाई है। लोकसभा में कराधान अधिनियम संशोधन विधेयक, 2019 पर चर्चा का जवाब देते हुए सीतारमण ने कहा कि प्रत्यक्ष कर संग्रह में कोई कमी नहीं आई है। उन्होंने कहा कि नवंबर तक सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह पांच प्रतिशत बढ़ा है। उन्होंने इन आशंकाओं को खारिज किया कि कॉरपोरेट कर की दर में कटौती के बाद राजस्व संग्रह प्रभावित होगा।
अर्थव्यवस्था में सुस्ती को लेकर चिंता के बीच वित्त मंत्री ने भरोसा दिलाया कि सरकार आगे बढ़कर अर्थव्यवस्था के समक्ष आ रही चुनौतियों से निपट रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि कर दरों में कटौती का मकसद कुछ कंपनियों को लाभ पहुंचाना नहीं है। इसके पीछे मकसद पूरे उद्योग जगत को फायदा पहुंचाना है।
वित्त मंत्री ने कहा कि लोग सरकार से नया निवेश करने के लिए संपर्क कर रहे हैं। इससे देश में और रोजगार पैदा करने में मदद मिलेगी और भविष्य में देश को विनिर्माण हब बनाया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि कॉरपोरेट कर की दर में कटौती का राजस्व संग्रह पर प्रभाव 1.45 लाख करोड़ रुपये का होगा लेकिन इससे एक साल के अंदर और अधिक कोष लाने में मदद मिलेगी।
चर्चा के बाद लोकसभा में विधेयक ध्वनि मत से पारित हो गया। इसने अध्यादेश का स्थान लिया है। उन्होंने कहा कि वास्तव में नवंबर तक सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह में पांच प्रतिशत का इजाफा हुआ है। वित्त मंत्री ने कहा कि पिछले वर्षों को देखा जाए तो वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही में प्रत्यक्ष कर संग्रह अधिकतम रहता है। नवंबर में जीएसटी संग्रह का आंकड़ा एक लाख करोड़ रुपये को पार कर गया है। एक जुलाई, 2017 को जीएसटी के अस्तित्व में आने के बाद यह तीसरा सबसे ऊंचा मासिक संग्रह का आंकड़ा है।
उन्होंने अर्थव्यवस्था में नरमी की आशंका को खारिज करते हुए कहा कि यह पहली बार नहीं है जबकि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 4.5 प्रतिशत पर आई है। उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2012-13 में भी जीडीपी की वृद्धि दर पांच प्रतिशत से कम रही थी, लेकिन बाद में यह बढ़ गई थी। उन्होंने कहा कि इसके ऊपर की ओर बढ़ने की संभावना है।
उन्होंने कहा कि सरकार आगे बढ़कर अर्थव्यवस्था के समक्ष आ रही चुनौतियों से निपट रही है। वित्त मंत्री ने इस धारणा को भी खारिज किया कि सरकार विशेषज्ञों की नहीं सुनती। उन्होंने कहा कि जुलाई में अपना पहला बजट पेश करने से पहले वह दो पूर्व वित्त मंत्रियों प्रणब मुखर्जी और मनमोहन सिंह से मिली थीं। सीतारमण ने कहा कि वह अर्थशास्त्रियों, उद्योगपतियों और अन्य अंशधारकों से भी मिलती रहती हैं और उनसे सुझाव लेती हैं।
यह पूछे जाने पर कि सरकार ने मांग बढ़ाने के लिए व्यक्तिगत आयकर की दर में कटौती क्यों नहीं की है, सीतारमण ने कहा कि व्यक्तिगत लोगों को कर लाभ की समय-समय पर समीक्षा की जाती रही है। सरकार इस बारे में उचित समय पर फैसला लेगी। उन्होंने पूर्ववर्ती संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार पर सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनी बीएसएनएल के साथ ‘सौतेली मां’ जैसे बर्ताव का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनी के रणनीतिक महत्व को मान्यता दी है।