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लगातार बढ़ते प्रदूषण और सर्दियों से पहले कोरोना को लेकर चिंताजनक खबर!

मेडिकल एक्सपर्ट्स ने एक चिंताजनकर खबर दी है। पर्यावरण एवं स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो लगातार बढ़ते प्रदूषण के बीच लोगों को ज्यादा सतर्क होने की जरूरत है क्योंकि वायु प्रदूषकों के संपर्क में आने से कोरोना संक्रमण और ज्यादा गंभीर हो सकता है और डेथ रेट बढ़ सकता है।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated : October 26, 2020 16:30 IST
coronavirus will become dangerous in winters । लगातार बढ़ते प्रदूषण और सर्दियों से पहले कोरोना को ले
Image Source : PTI coronavirus will become dangerous in winters । लगातार बढ़ते प्रदूषण और सर्दियों से पहले कोरोना को लेकर चिंताजनक खबर!

नई दिल्ली. भारत में पिछले कुछ दिनों में प्रतिदिन सामने आने वाले नए कोरोन मरीजों की संख्या में कुछ कमी जरूर हुई है लेकिन अभी भी हर रोज बड़ी संख्या में कोरोना मरीज मिल रहे हैं। आने वाला मौसम सर्दियों का है और सर्दियों से पहले ही प्रदूषण का स्तर बढ़ चुका है। ऐसे में अभी से दिल्ली-एनसीआर के लोगों को सांस लेने के लिए न तो साफ हवा मिल पा रही है और न ही तो देखने के लिए साफ आसमान। इन हालातों के बीच मेडिकल एक्सपर्ट्स ने एक चिंताजनकर खबर दी है। पर्यावरण एवं स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो लगातार बढ़ते प्रदूषण के बीच लोगों को ज्यादा सतर्क होने की जरूरत है क्योंकि वायु प्रदूषकों के संपर्क में आने से कोरोना संक्रमण और ज्यादा गंभीर हो सकता है और डेथ रेट बढ़ सकता है।

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पर्यावरण एवं स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि प्रदूषण के कारण फेफड़ों को होने वाले नुकसान से कोविड-19 के दौरान निमोनिया जैसी मुश्किलें भी हो सकती हैं। ग्रीनपीस इंडिया के लिए जलवायु के क्षेत्र में काम करने वाले अविनाश चंचल ने कहा, “इस बात के पर्याप्त साक्ष्य हैं कि वायु प्रदूषकों के संपर्क में रहने से श्वसन संबंधी संक्रमण को लेकर हमारी संवेदनशीलता बढ़ जाती है और उसके प्रसार व संक्रमण की गंभीरता दोनों के स्तर पर होती है।” उन्होंने कहा, “शोधकर्ताओं ने वायु प्रदूषण को उस तंत्र से जोड़ा है जो हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करता है। कोविड-19 के मामले में मौजूदा साक्ष्य यह संकेत देते हैं कि वायु प्रदूषकों के साथ लंबे समय तक संपर्क गंभीर संक्रमण और उच्च मृत्युदर से जुड़ा है।”

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सर्दियों का मौसम उत्तर भारत में हर साल सर्दी और प्रदूषित हवा लेकर आता है और इस साल महामारी के कारण स्थिति और खराब हो सकती है। दिल्ली-एनसीआर के आसमान पर 15 अक्टूबर को धुएं व धुंध की परत बनी हुई थी और क्षेत्र में वायु गुणवत्ता “बेहद खराब” स्तर पर थी जबकि ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) के तहत बिजली के जनरेटरों पर प्रतिबंध समेत वायु प्रदूषण रोधी सख्त उपाय लागू किये गए हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से शुक्रवार को जारी अद्यतन आंकड़ों के मुताबिक भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले बढ़कर 73,70,468 हो गए जबकि एक दिन में संक्रमण के 63,371 नए मामले सामने आए।

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दिल्ली के उजाला सिग्नस ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल के डॉक्टर सूचिन बजाज ने कहा कि सर्दियों की शुरुआत में और पराली जलाए जाने के कारण अस्थमा और फेफड़ों व श्वसन संबंधी अन्य बीमारियों के मामलों में इजाफा होता है लेकिन इस साल महामारी के कारण ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। बजाज ने कहा, “जब आपके फेफड़े पूरी तरह सही न हों और कमजोर हों तब कोविड के दौरान आपके निमोनिया जैसी समस्याओं से ग्रस्त होने की आशंका बढ़ जाती है। आपको आने वाले दिनों में ‘एसएमएस’ - सामाजिक दूरी, मास्क और सफाई - का अधिक ध्यान रखना होगा।”

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पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की वायु गुणवत्ता निगरानी प्रणाली ‘सफर’ के मुताबिक खेतों में लगाई गई आग की वजह से दिल्ली में बृहस्पतिवार को पीएम 2.5 करीब छह प्रतिशत था। बुधवार को यह करीब एक प्रतिशत था जबकि मंगलवार, सोमवार और रविवार को यह करीब तीन प्रतिशत था। पीजीआई चंडीगढ़ में पर्यावरण स्वास्थ्य के असोसिएट प्रोफेसर रविंद्र खाईवाल कहते हैं कि वायु प्रदूषण की पहचान असमय मौत के एक अहम कारक के तौर पर की गई है।

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उन्होंने कहा, “असमय मौत और गैर संचारी रोगों के लिये वायु प्रदूषण की पहचान अहम कारक के तौर पर हुई है। इस बात के प्रमाण भी मिल रहे हैं कि वायु प्रदूषण कोविड-19 की गंभीरता से जुड़ा हो सकता है।” उन्होंने कहा कि पराली जलाने से प्रदूषण में 20-40 प्रतिशत का इजाफा हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि मास्क का इस्तेमाल वायु प्रदूषण के साथ ही कोविड-19 के खिलाफ भी सबसे प्रभावी उपाय है। (Inputs- भाषा)

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