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पब्लिक हैल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया का दावा, ना होता लॉकडाउन तो चली जाती 78 हज़ार जान

एक तरफ देश में कोरोना की रफ्तार बढ़ रही है, वहीं दूसरी तरफ पब्लिक हैल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया का दावा है कि लॉकडाउन की वजह से कम से कम 78 हजार लोगों की जिंदगी बची। 

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: May 23, 2020 8:30 IST
Coronavirus update: Public Health Foundation of India claims lockdown saved 78 thousand lives- India TV Hindi
Image Source : PTI Coronavirus update: Public Health Foundation of India claims lockdown saved 78 thousand lives

नई दिल्ली: एक तरफ देश में कोरोना की रफ्तार बढ़ रही है, वहीं दूसरी तरफ पब्लिक हैल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया का दावा है कि लॉकडाउन की वजह से कम से कम 78 हजार लोगों की जिंदगी बची। लॉकडाउन को साठ दिन हो चुके हैं और ये सवाल अब भी कई लोगों के जेहन में है कि लॉकडाउन से क्या फायदा हुआ? लॉकडाउन का सबसे बड़ा फायदा ये हुआ कि इससे हजारों कीमती जानों को बचाने में मदद मिली। महामारी को कुछ इलाकों तक सीमित करने में सफलता मिली और हेल्थ का बुनियादी ढांचा खड़ा किया जा सका।

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लॉकडाउन में रियायत मिली तो कोरोना संक्रमितों की तादाद में इजाफा होने लगा। संक्रमितों की सख्या अब रोजाना हजार में नहीं बल्कि पांच-पांच हजार तक पहुंच रही है।

देश में 25 मार्च से लॉकडाउन न होता तो आज देश में कोरोना के मरीजों की संख्या करीब साढ़े चौबीस लाख होती। कोरोना से मरने वालों का आंकड़ा कम से कम 72 हजार होता। इसका मतलब ये हुआ कि  लॉकडाउन की वजह से तेईस लाख लोग कोरोना के इन्फैक्शन से बचे। लॉकडाउन के कारण कम से कम 68 हजार लोगों की जिंदगी बची।

पब्लिक हैल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया का दावा है कि लॉकडाउन की वजह से कम से कम 78 हजार लोगों की जिंदगी बची। बोस्टम कन्सल्टिंग ग्रुप के मॉडल पर यकीन करें तो उसके हिसाब से भारत में वक्त पर लॉकडाउन होने के कारण सवा लाख से लेकर दो लाख दस हजार तक लोगों की जान बचाई गई और अगर लॉकडाउन न होता तो भारत में कोरोना के मरीजों की संख्या 70 लाख तक हो सकती थी।

वहीं मिनिस्ट्री ऑफ स्टैटिस्टिक और इंस्टीट्यूट ऑफ स्टैटिस्टिक की स्टडी कहती है कि लॉकडाउन के कारण बीस लाख लोगों को कोरोना के संक्रमण से बचाया  गया। अगर लॉकडाउन न होता तो इस वक्त तक कोरोना से 58 हजार लोग जान गवां चुके होते। यानि लॉकडाउन के कारण 54 हजार लोगों की जान बच गई।

असल में इस वक्त पैनिक इसलिए हैं क्योंकि हर रोज पांच से छह हजार तक नए केस सामने आ रहे हैं लेकिन जिस वक्त देश में लॉकडाउन शुरू हुआ था उस वक्त कोरोना का डबलिंग रेट 3.4 दिन था। लॉकडाउन से अब ये डबलिंग रेट 13.3 दिन तक पहुंच गया है।

एक सवाल ये भी किया जाता है कि देश में कोरोना की टेस्टिंग कम हो रही है इसलिए महामारी की सही स्थिति पता नहीं लग पा रही है लेकिन ये भी सिर्फ वहम है। शुक्रवार दोपहर एक बजे तक देश में कोरोना के 27 लाख 55 हजार 714 टेस्ट हुए, 18287 टेस्ट प्राइवेट लैब में कराए गए।

अब तक सबसे ज्यादा टेस्ट अमेरिका में हुए हैं। यहां एक करोड़ 34 लाख 79 हजार लोगों के टेस्ट हुए हैं। इनमें से सोलह लाख से ज्यादा पॉजिटिव आए। ब्रिटेन ने 81 लाख लोगों का टेस्ट किया, इनमें से सवा तीन लाख से ज्यादा पॉजिटिव मिले। इसी तरह स्पेन ने तीस लाख टेस्ट किए जिनमें 2 लाख 80 हजार हजार पॉजिटिव मिले।

भारत  में दूसरों देशों की तुलना में कम कोरोना टेस्ट नहीं हुए हैं और दुसरे देशों में टेस्ट पॉजिटिव आने का रेट हमसे दोगुना से भी ज्यादा है। देश में कोरोना के चुनिंदा हॉटस्पॉट राज्य हैं। अलग अलग वजहों से इन राज्यों में महामारी ने विकराल रूप ले लिया। 

कोरोना के अस्सी परशेंट से ज्यादा मामले सिर्फ पांच राज्यों महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, तमिलनाडु और मध्य प्रदेश में हैं। देश के करीब 50 परसेंट से ज्यादा मरीज मुंबई, ठाणे, अहमदाबाद, दिल्ली, चैन्नई और इंदौर में हैं। युद्ध स्तर पर इन शहरों में कोरोना को रोकने की कोशिशें की जा रही हैं।

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