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Coronavirus के नाम पर दुनिया से चीन का फ्रॉड, ड्रैगन की दो कंपनी भारत में ब्लैकलिस्ट

कोरोना को जल्दी रोकने का सिर्फ़ एक तरीक़ा है और वो है टेस्टिंग लेकिन इसमें भी चीन की तरफ़ से पूरी दुनिया को बड़ा धोखा मिला है। चीन की टेस्टिंग किट एक के बाद एक दुनियाभर में ब्लैकलिस्ट की जा रही हैं।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: April 28, 2020 9:04 IST
Coronavirus test kits: India blacklist two Chinese companies- India TV Hindi
Coronavirus test kits: India blacklist two Chinese companies

नई दिल्ली: कोरोना को जल्दी रोकने का सिर्फ़ एक तरीक़ा है और वो है टेस्टिंग लेकिन इसमें भी चीन की तरफ़ से पूरी दुनिया को बड़ा धोखा मिला है। चीन की टेस्टिंग किट एक के बाद एक दुनियाभर में ब्लैकलिस्ट की जा रही हैं। अब भारत ने भी रेपिड किट बेचने वाली चीन की दो कंपनियों को ब्लैकलिस्ट कर दिया है क्योंकि ये चाइनीज़ माल भरोसे के लायक़ नहीं हैं। ब्रिटेन पहले ही चीन से धोखा खा चुका था और फ्रांस-इटली चाइनीज़ सामान इस्तेमाल करने की क़ीमत चुका रहे हैं।

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नीदरलैंड्स, स्पेन समेत यूरोप के कई देशों ने चाइनीज़ किट को दूसरे दौर में बाय-बाय बोल दिया है। लिहाजा बार-बार शिकायत मिलने के बाद भारत सरकार ने भी चीन की दो कंपनियों को ब्लैकलिस्ट कर दिया है। भारत की फ्रंट मेडिकल बॉडी ICMR ने बहुत बड़ा अलर्ट जारी किया है। ICMR ने चीन की दो कंपनियों की टेस्टिंग किट इस्तेमाल ना करने की सलाह दी है।

गुआंगज़ोऊ वोंडफो बायोटेक और ज़ुहाय लिवज़ॉन, इन दोनों कंपनियों की टेस्टिंग किट ठीक नहीं है। गनीमत ये है कि इन दोनों कंपनियों को एक भी पैसा एडवांस में नहीं दिया गया था। ICMR की चिट्ठी में बहुत साफ़-साफ़ लिखा है कि इन दोनों कंपनियों की टेस्टिंग किट सही रिज़ल्ट नहीं दे रही हैं।

चीन की ग़लती की क़ीमत पूरी दुनिया चुका रही है। भारत में भी सरकार ने सोचा था कि ज्यादा से ज्यादा टेस्ट के लिए किट बहुत जरुरी है इसलिए चीन की दो कंपनियों को सबसे ज्यादा ऑर्डर दिए गए और जिन दो कंपनियों को सबसे ज्यादा ऑर्डर दिये गये, उन्हीं कंपनियों ने धोखा दे दिया।

अब ICMR ने कहा कि दोनों कंपनियों से जितनी भी किट ऑर्डर की गई हैं वो सारा का सारा ऑर्डर कैंसिल किया जाएगा। देश के सारे राज्यों से भी कहा गया है कि इन दो कंपनियों से जो ऑर्डर किया है उसे तत्काल कैंसिल करें। राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, यूपी समेत कई राज्यों में रैपिड टेस्ट से जांच शुरू हो गई थी।

राजस्थान सरकार ने सबसे पहले चीन की रैपिड किट्स की शिकायत की थी। शिकायत के बाद दो दिन के लिए पहले जांच रोकी गई और अब सारे ऑर्डर कैंसिल करने का फैसला किया गया। रैपिड टेस्ट किट की डिमांड इसलिए बढ़ गई है क्योंकि कोरोना से निगेटिव होने की पहचान कुछ ही मिनटों में हो जाती है।

कैसे होती है जांच? 

1. सबसे पहले कारोना संदिग्ध से खून या सीरम का सैंपल लिया जाता है 
2. टेस्ट किट में रक्त नमूने के ऊपर तीन बूंदें एक केमिकल की डाली जाती हैं 
3. ठीक दस मिनट के बाद टेस्ट किट में परिणाम सामने आ जाता है। 
4. अगर रैपिड टेस्ट किट पर सिर्फ एक गुलाबी लाइन सी ऊभरती है तो इसका मतलब है कि व्यक्ति निगेटिव है 
5. और अगर रैपिड टेस्ट किट पर दो गुलाबी लाइन ऊभरती है तो ये माना जाता है कि वो व्यक्ति कोरोना पॉजेटिव है
6. रैपिड टेस्ट किट में जांच के बाद व्यक्ति को आइसोलेशन या अस्पताल में रखा जाता है और एक बार से उस वय्क्ति की लैब के जरिए जांच होती है

भ्रम की स्थिति तब पैदा हो गई जब राजस्थान में 1000 पॉजेटिव लोगों की जांच हुई और 90 फीसदी लोग निगेटिव बताए गए। लैब में जांच हुई तो पता चला 95 फीसदी परिणाम गलत हैं। अगर ये गड़बड़ी पकड़ में न आती तो हालात स्पेन जैसे होता। स्पेन की सरकार जिन लोगों को रैपिड टेस्ट के परिणाम के हिसाब से कोरोना से मुक्त समझ रहे थे, वो कोरोना कैरियर बन चुके थे।

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