नई दिल्ली. कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कोरोना महामारी की मौजूदा स्थिति को लेकर शनिवार को केंद्र सरकार पर निशाना साधा और कहा कि टीकाकरण के लिए आयुसीमा को घटाकर 25 साल किया जाए तथा अस्थमा, मधुमेह और कुछ अन्य बीमारियों से पीड़ित युवाओं को प्राथमिकता के आधार पर टीका लगाया जाए। उन्होंने कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में यह भी कहा कि सरकार को कोरोना से निपटने के लिए जरूरी चिकित्सा उपकरणों और दवाओं को जीएसटी से मुक्त करना चाहिए तथा कोरोना वायरस संक्रमण के प्रसार पर अंकुश लगाने के लिए सख्त कदम उठाने पर गरीबों को प्रति माह छह हजार रुपये की मदद देनी चाहिए।
सोनिया ने बड़ी संख्या में लोगों के कोरोना वायरस संक्रमण के चपेट में आने और रोजाना सैकड़ों लोगों की मौत होने पर दुख जताते हुए कहा कि इस संकट की घड़ी में अपना कर्तव्य निभा रहे स्वास्थ्यकर्मियों एवं दूसरे कर्मचारियों को कांग्रेस सलाम करती है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र का उल्लेख किया और आरोप लगाया कि कई जगहों पर टीकों, ऑक्सीजन और वेंटिलेंटर की कमी हो रही है, लेकिन सरकार चुप्पी साधे है।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, "सरकार को टीकाकरण के लिए अपनी प्राथमिकता पर पुनर्विचार करना चाहिए और आयुसीमा को घटाकर 25 साल करना चाहिए। अस्थमा, मधुमेह, किडनी और लीवर संबंधी बीमारियों से पीड़ित सभी युवाओं को टीका लगाया जाना चाहिए।" उल्लेखनीय है कि टीकाकरण के लिए अभी न्यूतम आयुसीमा 45 साल निर्धारित है।
सोनिया गांधी ने सीडब्ल्यूसी की बैठक में कहा कि कांग्रेस ने हमेशा से यह माना है कि कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई एक राष्ट्रीय चुनौती है, जिसे पार्टी की राजनीति से दूर रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोविड-19 की दूसरी लहर ने देश को बुरी तरह प्रभावित किया है, हमारे पास इससे निपटने की तैयारी के लिए एक साल का समय था, लेकिन हम बिना तैयारी के फिर इसकी चपेट में आ गए हैं।
सरकार पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि कोविड-19 संकट संबंधी पूर्वानुमान, आकलन और प्रबंधन के संदर्भ में मोदी सरकार ने कोई तैयारी नहीं की। कोविड-19 प्रबंधन पर विपक्ष के रचनात्मक सुझावों को सुनने के बजाए केंद्रीय मंत्रियों ने विपक्ष के नेताओं पर हमला किया। कोरोना वैक्सीन के निर्यात पर सवाल उठाते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि क्या टीकों के निर्यात को रोककर अपने नागरिकों की रक्षा को प्राथमिकता नहीं दी जानी चाहिए। उन्होंने सरकार से मांग की कि हर पात्र नागरिक के खाते में छह-छह हजार रुपए जमा कराए जाएं।