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यह दहशत Coronavirus से कहीं ज्यादा जिंदगियां बर्बाद कर देगी : सुप्रीम कोर्ट

पीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान केन्द्र को यह निर्देश दिया। पीठ ने कहा, ‘‘यह दहशत वायरस से कहीं ज्यादा जिंदगियां बर्बाद कर देगी।’’ साथ ही पीठ ने केन्द्र से कहा कि देश के तमाम आश्रय गृहों में पनाह लिये इन

Reported by: Bhasha
Published on: March 31, 2020 22:48 IST
सुप्रीम कोर्ट- India TV Hindi
सुप्रीम कोर्ट

नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने कोरोनावायरस की वजह से कामगारों के पलायन को रोकने और 24 घंटे के भीतर इस महामारी से जुड़ी जानकारियां उपलब्ध कराने के लिये एक पोर्टल बनाने का केन्द्र को मंगलवार को निर्देश दिया। न्यायालय ने कहा कि इस पोर्टल से महामारी से संबंधित सही जानकारी जनता को उपलब्ध करायी जाये। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की पीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान केन्द्र को यह निर्देश दिया। पीठ ने कहा, ‘‘यह दहशत वायरस से कहीं ज्यादा जिंदगियां बर्बाद कर देगी।’’ साथ ही पीठ ने केन्द्र से कहा कि देश के तमाम आश्रय गृहों में पनाह लिये इन कामगारों का चित्त शांत करने के लिये प्रशिक्षित परामर्शदाताओं और सभी आस्थाओं के समुदायों के नेताओं की मदद ले।’’ 

केंद्र ने न्यायालय से यह निर्देश देने का अनुरोध किया कि कोई भी प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक या अन्य मीडिया संस्थान कोरोना वायरस से जुड़ी कोई भी जानकारी सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए तंत्र से प्रमाणित कराए बिना प्रकाशित या प्रसारित नहीं करेगा। सरकार ने कहा कि यह अभूतपूर्व स्थिति हैं और ऐसे में इलेक्ट्रॉनिक,प्रिंट, सोशल मीडिया या वेब पोर्टल पर इरादतन या गैर इरादतन गलत या भ्रमित करने वाली जानकारी से बड़े पैमाने पर लोगों में अफरा-तफरी फैलने का जोखिम रहता है। सरकार ने कहा कि अफरातफरी फैलाना यद्यपि आपराधिक मामला है इसके बावजूद शीर्ष न्यायालय से समुचित दिशानिर्देश “देश को किसी भी तरह की गलत खबर से मचने वाली संभावित अफरा-तफरी से बचाएंगे।” 

शीर्ष अदालत में दी गई स्थिति रिपोर्ट में सरकार ने कोरोना वायरस संक्रमण के मद्देनजर उठाए गए व्यापक कदमों की जानकारी देते हुए कहा कि जांच क्षमता बढ़ाई जा रही है और 40 हजार जीवन रक्षक प्रणाली की खरीद के लिये आदेश दिये गए हैं जिससे किसी भी आपात स्थिति से निपटा जा सके। केन्द्र की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस समय लोगों को दूसरे स्थान पर जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती क्योंकि इससे कोरोना वायरस को फैलने का अवसर मिलेगा। मेहता ने कहा कि करीब 4.14 करोड़ कामगार काम के लिये दूसरे स्थानों पर गये थे लेकिन अब कोरोनावायरस की दहशत से लोग वापस लौट रहे हैं। 

सालिसीटर जनरल ने कहा कि इस महामारी से बचाव और इसके फैलाव को रोकने के लिये समूचे देश को लॉकडाउन करने की आवश्यकता हो गयी है ताकि लोग दूसरों के साथ घुले मिलें नहीं और सामाजिक दूरी बनाने के सूत्र का पालन करते हुये एक दूसरे से मिल नहीं सकें। मेहता ने कहा, ‘‘हम यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहे हैं कि कामगारों का पलायन नहीं हो। ऐसा करना उनके लिये और गांव की आबादी के लिये भी जोखिम भरा होगा। जहां तक ग्रामीण भारत का सवाल है तो यह अभी तक कोरोनावायरस के प्रकोप से बचा हुआ है लेकिन शहरों से ग्रामीण क्षेत्रों की ओर जा रहे 10 में से तीन व्यक्तियों के साथ यह वायरस जाने की संभावना है।’’ उन्होंने कहा कि अंतरराज्यीय पलायन पूरी तरह प्रतिबंधित करने के बारे में राज्यों को आवश्यक परामर्श जारी किये गये हैं और केन्द्रीय नियंत्रण कक्ष के अनुसार करीब 6,63,000 व्यक्तियों को अभी तक आश्रय प्रदान किया जा चुका है। 

उन्होंने कहा कि 22,88,000 से ज्यादा व्यक्तियों को भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है क्योंकि ये सभी जरूरतमंद, एक स्थान से दूसरे स्थान जा रहे कामगार और दिहाड़ी मजदूर हैं जो कहीं न कहीं पहुंच गये हैं और उन्हें रोककर आश्रय गृहों में ठहराया गया है। केन्द्र ने इन कामगारों को सैनिटाइज करने के लिये उन पर रसायन युक्त पानी का छिड़काव करने के एक याचिकाकर्ता के सुझाव पर कहा कि यह वैज्ञानिक तरीके से काम नहीं करता है और यह उचित तरीका नहीं है। 

इस बीच, शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालयों को इन कामगारों के मसले पर विचार करने से रोकने से इंकार कर दिया और कहा कि वे अधिक बारीकी से इस मामले की निगरानी कर सकते हैं। हालांकि, न्यायालय ने केन्द्र सरकार से कहा कि वह शीर्ष अदालत के आदेशों के बारे में उच्च न्यायालयों को अवगत कराने के लिये सरकारी वकीलों को निर्देश दे। पीठ ने केन्द्र से कहा कि वह कोरोना वायरस महामारी के मुद्दे के संदर्भ में केरल के कासरगोड के सांसद राजमोहन उन्नीथन और पश्चिम बंगाल के एक सांसद की पत्र याचिकाओं पर विचार करे। न्यायालय ने इन याचिकाओं की सुनवाई सात अप्रैल के लिये स्थगित करते हुये केन्द्र को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि कामगारों के आश्रय स्थलों के प्रबंधन की जिम्मेदारी स्वयंसेवियों को सौंपी जाये और इनके साथ किसी प्रकार का बल प्रयोग नहीं किया जाये। 

पीठ ने शुरू में टिप्पणी की, ‘‘हम 24 घंटे के भीतर सूचनायें उपलब्ध कराने के लिये पोर्टल के बारे में आदेश पारित करेंगे। आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि जिन लोगों को आपने रोका है उनकी सही तरीके से देखभाल हो और उन्हें भोजन, रहने की जगह, पौष्टिक आहार और चिकित्सा सुविधा मिले। आप उन मामलों को भी देखेंगे जिनकी पहचान आपने कोविड-19 मामले और अलग रहने के लिये की है। मेहता ने पीठ से कहा कि सरकार जल्द एक ऐसी व्यवस्था लागू करेगी जिसमें कामगारों में व्याप्त भय पर ध्यान दिया जायेगा और उनकी काउन्सलिंग भी की जायेगी। 

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