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BLOG:जड़ी-बूटी तेरे काम न आई, जब राम के घर की टूटी

लॉकडाउन है। लोग घरों में बंद है। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के पास इसका कोई इलाज नहीं है। भय और डर का माहौल चारों तरफ पसरता जा रहा है। डर के इस माहौल से आप खुद को कैसे बचा सकते हैं।

Written by: Niraj Kumar @nirajkavikumar1
Published : March 30, 2020 18:02 IST
BLOG:जड़ी-बूटी तेरे काम न आई, जब राम के घर की टूटी
Image Source : AP BLOG:जड़ी-बूटी तेरे काम न आई, जब राम के घर की टूटी

देश-देश का वैद्य बुलाया, लाया जड़ी और बूटी

जड़ी-बूटी तेरे काम न आई, जब राम के घर की टूटी
 
भक्ति और आत्मज्ञान के मार्ग को जनचेतना से जोड़नेवाले संत कबीर दास ने आज से हजार वर्ष पहले ये बातें कही थी। आज पूरी दुनिया, पूरी मानव जाति जिस गंभीर संकट के दौर से गुजर रही है उसमें कबीर की ये पंक्तियां बेहद प्रासंगिक मालूम होती हैं। आज जब कोरोना वायरस के संक्रमण ने पूरे विश्व को अपनी चपेट में ले लिया है, दुनिया के हर कोने से लोगों की मौत की खबरें आ रही हैं, भारत भी इससे अछूता नहीं है। कोरोना वायरस का संक्रमण भारत की धरती पर भी अपना पांव पसारता जा रहा है। पूरे देश में लॉकडाउन है। लोग घरों में बंद है। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के पास इसका कोई इलाज नहीं है। भय और डर का माहौल चारों तरफ पसरता जा रहा है। अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर ऐसी स्थितियां क्यों निर्मित होती हैं, इससे कैसे बचा जा सकता था और मौजूदा परिस्थितियों में डर के इस माहौल से आप खुद को कैसे बचा सकते हैं।
 
दरअसल हमारा जीवन पूरी तरह से प्रकृति के संतुलन पर आधारित है, जब-जब असंतुलन की स्थिति हुई प्रकृति ने हमें समय-समय पर सचेत  किया है। कभी सुनामी के रूप में, कभी बाढ़ तो कभी महामारी के रूप में। लेकिन हमने प्रकृति की अनदेखी कर,अपने अहंकार को ऊपर रखा। हमने प्रकृति के प्रति समर्पण का भाव छोड़ दिया और दमन के भाव से आगे बढ़ते गए। अपने अहंकार और भौतिक सुख पाने की रफ्तार में हमने प्रकृति को खासा नुकसान पहुंचाया। हृदय शून्य होता गया, संवेदनहीनता पसरती गई और हम अपने अंदर मौजूद मूल तत्वों से अलग होते गए। तीन नाड़ियों और सात चक्रों के स्पंदन को महसूस नहीं कर पाने वाला यह शरीर पत्थर के समान होता गया। प्रकृति ने हमें शरीर को इस गति के लिए नहीं सौंपा था। लिहाजा प्रकृति का कोप हमारे ऊपर टूटता है और उसके सामने हम खुद को बेबस और लाचार महसूस करने लगते हैं। विश्व के अंदर कोरोना महामारी ने मानव जाति को बेबसी के मोड़ पर ला दिया है। 
 
कोरोना के कहर से बचने के लिए लोग घरों में बंद हैं। लेकिन घर के अंदर भी लोगों के अंदर एक खौफ है। विदेशों से जिस तरह की खबरें आ रही हैं वह लोगों के अंदर डर को और बढ़ा रही हैं। इस डर से बचने का उपाय ये हो सकता है कि आप आध्यात्म और योग का सहारा लें। सुबह-शाम ध्यान करें। महान संतों के जीवन चरित पढ़ें, उन्होंने जो कुछ बताया उसका मनन करें। इसकी शुरुआत आप कबीर की वाणी से कर सकते हैं। इस तरह से आपकी सोच में एक बदलाव आएगा और हर तरह की चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए आप मानसिक तौर पर खुद को तैयार कर सकेंगे। कोरोना महामारी से डरकर, हताशा और निराशा का भाव अपने अंदर लाने की जरूरत नहीं है। हमें जो भी सावधानियां बरतने की सलाह दी जाती है, उसका पूरा पालन करना चाहिए। फिलहाल सरकार ने लोगों को घरों में रहने के लिए कहा है, इसलिए इस आदेश का पालन लोगों को करना चाहिए। हमारी थोड़ी सी सावधानी एक बड़े खतरे को टाल सकती है।

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