अलप्पुझा: पर्यटकों के बीच आकर्षण का केंद्र बन चुके हाउसबोटों को केरल के अलप्पुझा जिले में आवश्यकता पड़ने पर कोविड 19 पृथक वार्ड में तब्दील किया जायेगा। अलप्पुझा की जिलाधिकारी एम.अंजना ने कहा कि जिला प्रशासन आपात स्थिति में हाउसबोटों को पृथक केंद्र बनाने की संभावना का पता लगा रहा है । उन्होंने पीटीआई से कहा कि हमने जिले में होटलों, रिसोर्ट्स, छात्रावासों और लाजों में मरीजों को रखने के लिये 5806 बिस्तरों की पहचान की है जहां शौचालय भी अटैच हैं ।
उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए किया गया है कि जिले में अधिक अस्पताल नहीं हैं और जरूरत पड़ने पर इनका इस्तेमाल किया जा सके। कलेक्टर ने कहा कि हाउसबोट आनर एसोसिएशन के साथ बातचीत चल रही है और वे लोग अपने बोट उपलब्ध कराने के लिये तैयार हैं । उन्होंने कहा कि हम लोग हाउसबोट से 1500 से 2000 बिस्तर ले सकते हैं । उन्होंने कहा कि यह एक विकल्प हो सकता है जिस पर काम चल रहा है । यह 5800 बिस्तरों के अतिरिक्त होगा जिसे पहले से चिन्हित किया गया है । अखिल केरल हाउसबोट आनर एसोसिएशन के अध्यक्ष वी विनोद ने कहा कि वे लोग सरकार के साथ सहयोग करने के इच्छुक हैं ।
लॉकडाउन के दौरान केरल में अपराधों में आई कमी
कोरोना वायरस फैलने के खतरे को देखते हुए 24 मार्च को किए गए लॉकडाउन के बाद केरल में अपराध की दर में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई है। राज्य पुलिस की रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई। राज्य अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एससीआरबी) द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल के मुकाबले मार्च 2020 में बंद के दौरान अपराध की दर में कमी देखी गई। रिपोर्ट के मुताबिक 2019 में 25 से 31 मार्च के बीच डकैती के 12 मामले सामने आए थे लेकिन इस वर्ष उसी अवधि में डकैती के केवल दो मामले दर्ज हुए।
रिपोर्ट के अनुसार इस साल 25 से 31 मार्च के बीच छेड़छाड़ के 18 मामले दर्ज किए गए जबकि इसी अवधि में पिछले साल छेड़छाड़ के 92 मामले सामने आए थे। हालांकि रिपोर्ट में हत्या के मामलों में कोई उल्लेखनीय कमी नहीं देखी गई। एससीआरबी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “हत्या जैसे अपराधों पर लगाम लगाना कठिन है क्योंकि हत्या कई प्रकार के व्यक्तिगत कारणों से भी की जाती है। लेकिन चोरी, दंगे, बलात्कार, अपहरण और धोखाधड़ी के मामलों में उल्लेखनीय कमी देखी गई है।” (भाषा)