Monday, December 23, 2024
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Coronavirus Lockdown के बाद सबसे दयनीय हालत झारखंड की होने वाली है : हेमंत सोरेन

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बृहस्पतिवार को कहा कि संघीय ढांचे की मजबूती ने कोरोना वायरस के संकट से लड़ने में राज्यों को बड़ी ताकत दी जिससे विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री अपने गृह राज्य के बाहर फंसे लोगों की सहायता के लिए एक-दूसरे के साथ सहयोग और समन्वय कर रहे हैं।

Reported by: Bhasha
Updated : April 09, 2020 21:19 IST
Coronavirus Lockdown के बाद सबसे दयनीय हालत झारखंड की होने वाली है : हेमंत सोरेन
Coronavirus Lockdown के बाद सबसे दयनीय हालत झारखंड की होने वाली है : हेमंत सोरेन 

नयी दिल्ली:  झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बृहस्पतिवार को कहा कि संघीय ढांचे की मजबूती ने कोरोना वायरस के संकट से लड़ने में राज्यों को बड़ी ताकत दी जिससे विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री अपने गृह राज्य के बाहर फंसे लोगों की सहायता के लिए एक-दूसरे के साथ सहयोग और समन्वय कर रहे हैं। सोरेन ने कहा कि उन्होंने केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली सहित विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बातचीत की जहां झारखंड के लोग काम करते हैं और उन्होंने हरसंभव सहयोग का वादा किया।

सोरेन ने कहा कि केरल के मुख्यमंत्री ने उन्हें यहां तक आश्वासन दिया कि झारखंड के लोगों को दक्षिण भारतीय खाना के बजाए ‘‘चावल और दाल’’ दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्रियों के बीच सहयोग का एक और उदाहरण है जब इस हफ्ते की शुरुआत में उन्होंने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ई.पलानीस्वामी को फोन कर कहा कि वहां की एक कपड़ा फैक्टरी में करीब 200 महिलाओं से जबरन काम कराया जा रहा है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने तुरंत कार्रवाई के आदेश दिए और महिलाओं को बचा लिया गया। 

‘पीटीआई-भाषा’ को दिए साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि राज्य के श्रम विभाग की तरफ से संचालित प्रवासी हेल्पलाइन नंबर पर प्राप्त कुल कॉल के आधार पर झारखंड के करीब सात लाख निवासी वर्तमान में राज्य से बाहर हैं। सोरेन ने कहा कि लॉकडाउन हटाना ‘‘बड़ी चुनौती’’ है और इस पर काफी विचार किए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन को उसी तरह खोला जाना चाहिए जैसे कार का गियर बदला जाता है। उन्होंने कहा कि झारखंड में कोरोना वायरस के फैलने पर लगाम लगायी गयी है लेकिन देश के विभिन्न हिस्सों से बड़ी संख्या में लोग अगर राज्य में लौटते हैं तो चीजें बदल सकती हैं। सोरेन ने कहा कि उनकी सरकार ने कोरोना वायरस पर बहुत जल्द काम शुरू कर दिया था जिससे राज्य में मामलों पर लगाम लगाने में सफलता मिली। 

उन्होंने कहा, ‘‘लॉकडाउन के बाद करीब दो लाख लोग किसी तरह से राज्य में आ गए लेकिन हमने स्थिति से निपटने के लिए व्यवस्था की। अब उनमें से पौने दो लाख लोगों का ब्यौरा हमारे पास है। कुछ लोग झारखंड के हैं जबकि कुछ अन्य लोग पश्चिम बंगाल तथा अन्य राज्यों के हैं।’’ मुख्यमंत्री ने केन्द्र सरकार से झारखंड पर विशेष ध्यान देने की अपील की है। उन्होंने कहा कि झारखंड आर्थिक रूप से लगभग पूरी तरह केन्द्र पर ही निर्भर है और इस कारण लॉकडाउन के बाद सबसे दयनीय हालत हमारे राज्य की ही होने वाली है। सोरेन ने कोरोना संकट से निपटने के लिए केंद्र द्वारा मिल रही मदद पर असंतोष व्यक्त करते हुए कहा कि झारखंड पर यह दोहरा संकट है। 

उन्होंने कहा कि लॉकडाउन समाप्त होने के बाद झारखंड की सबसे दयनीय स्थिति होगी क्योंकि जीएसटी से पहले ही राज्य की रीढ़ की हड्डी टूट चुकी है। उन्होंने कहा कि झारखंड के पास धन संग्रह करने की कोई दूसरी व्यवस्था नहीं है। सोरेन ने कहा कि जिन राज्यों के अपने कॉरपोरेशन और उद्यम हैं, वे इस संकट से थोड़ा निपटने की स्थित में हैं क्योंकि उनके पास राजस्व आ रहा है लेकिन झारखंड के पास ऐसे संसाधन नहीं के बराबर हैं। 

मुख्यमंत्री ने कोरोना संकट से निपटने के लिए केंद्र द्वारा मिल रही मदद पर भी असंतोष जताया और कहा कि केन्द्र से जो लगभग पौने तीन सौ करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता मिली है, वह बहुत कम है। उन्होंने कहा कि राज्य को चिकित्सकीय उपकरणों की भी आवश्यक आपूर्ति भी नहीं मिल पा रही है जिससे चाहकर भी सरकार अधिक संख्या में संदिग्ध मरीजों की जांच नहीं कर पा रही है। उन्होंने कहा कि राज्य ने डेढ़ हजार वेंटिलेटर की मांग की थी लेकिन यह उपलब्ध नहीं हो पाया है। 75000 जांच किट मांगे गए थे लेकिन 5000 जांच किट उपलब्ध करायी गयी है। इसके अलावा थर्मल स्कैनर्स की तादाद बहुत कम है। टेस्ट नहीं होने से संक्रमण का पता नहीं चलेगा। झारखंड के पास संसाधनों की काफी कमी है। उन्होंने कहा कि 14 अप्रैल के बाद राज्य में लॉकडाउन करना है कि नहीं, इस बारे में केन्द्र को फैसला लेना है क्योंकि इससे पहले भी देश में लॉकडाउन करते करते समय केंद्र सरकार ने झारखंड से कोई सलाह नहीं ली थी। हालांकि हम जल्द ही राज्य के बारे में उचित फैसला करेंगे। 

सोरेन ने कहा कि रेलवे बोगी आइसोलेशन वार्ड में तब्दील किये जा रहे हैं तो इससे यह समझ जाना चाहिए कि समस्या बहुत गंभीर है। संपन्न देशों की मेडिकल व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है। आपदा कितना खतरनाक रूप लेगा, यह कहा नहीं जा सकता है। उन्होंने संक्रमण को लेकर तबलीगी जमात पर आरोपों के संदर्भ में कहा कि इसे धर्म से नहीं जोड़ा जा सकता है। इससे पूर्व मुख्यमंत्री सोरेन ने राज्य में बढ़ते कोरोना संक्रमण के मामलों पर कहा कि यह अब भी देश के अन्य भागों से बहुत कम है और उनकी सरकार इस स्थिति से निपटने में पूरी तरह सक्षम है। उन्होंने कहा कि इस समय आवश्यकता सिर्फ इस बात की है कि केन्द्र राज्य का पूरा साथ दे और राज्य की जनता तय नियमों का पूरी तरह से पालन करे। झारखंड में कोविड-19 के अभी तक कम से कम 13 मामले सामने आए हैं और एक व्यक्ति की इससे मौत हुई है। 

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