जयपुर: राजस्थान में कोरोना से संक्रमित होने वाले लोगों का सबसे बडा हॉट स्पॉट जयपुर का रामगंज इलाका बन चुका है। एक शख्स की गलती ने एक ही मोहल्ले से 450 से भी ज्यादा संक्रमित लोगों की लाईन लगा दी। पिछले कुछ हफ्तों से रामगंज से जो आंकडे़ लगातार सामने आ रहे थे उन पर अचानक से विराम लगजाने की वजह ने लोगो की धड़कने बढा दी।
दरअसल पिछले एक हफ्ते के कोरोना वायरस मरीजों की सख्या का आंकडा देखें तो हर रोज जयपुर से औसतन 30 से 40 मामले सामने आ रहे थे जिनमें अधिकांश रामगंज इलाके के होते थे। लेकिन पिछले दो दिनों के अंदर अचानक से रामगंज का मानचित्र सरकारी कागजों के पटल से गायब सा हो गया है। जबकि हाल ही मे टॉस्क फोर्स की रिपोर्ट ने ये माना था कि तब्लीगियों और विदेश से आने वाले लोगों की वजह से कोरोना का विस्फोट हुआ था। रामगंज मे भी इस वजह से त्रासदी बडे पैमाने पर देखने को मिल रही थी। फिर ऐसी कौन सी घुट्टी राजस्थान सरकार ने लोगों को पिला दी जिसकी वजह से एक ही दिन मे रामगंज से संक्रमित होने वाले लोगों का आंकड़ा शून्य हो गया।
रामगंज इलाका क्यों था चिंता सबब
दरअसल 13 मार्च को ओमान से लौटे शख्स की लापरवाही ने पूरे परकोटे इलाके के लोगों की जान हलक मे ला दी। इस एक शख्स ने रामगंज इलाके में कोरोना से संक्रमित होने वाले लोगों की लाईन लगा दी। बची-कुची कसर तब्लीगी जमात से आने वाले लोगों ने पूरी कर दी। जिसके बाद देश के मानचित्र में जयपुर का रामगंज सबसे शीर्ष पटल पर आ गया।
क्या गहलोत सरकार रामगंज के आंकडे़ छिपाना चाहती है?
ये सवाल तमाम विपक्षी दल व अन्य लोग इसलिए भी पूछ रहे है क्योंकि पिछले 2 दिनों से रामगंज इलाके से मिलने वाले संक्रमित लोगों की संख्या 0 से महज 1 या 2 ही रह गयी जो थोडे़ बहुत पॉजिटिव दिखाए भी जा रहे है वो भी रामगंज के नहीं बल्कि अन्य इलाकों को मिलाकर दिखाये जा रहे है। आखिर आंकड़े क्यों छिपाए जा रहा है इस सवाल का जवाब कोई नहीं दे रहा है। लेकिन अब विपक्ष ने भी सवाल खड़े कर दिये है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पुनिया ने इस मुद्दे पर गहलोत सरकार को आडे़ हाथों लेकर बडे़ सवाल खडे़ कर दिये है।
पिछले 5 दिनों से आने वाले सरकारी आंकडे़
- 13 अप्रैल को रात 9 बजे सरकार की तरफ से जो पूरे दिन के आंकडे आते है उसके मुताबिक टोटल 7330 सैम्पल रिसीव हुए। पॉजिटिव होने वालों की संख्या जयपुर से कुल 29, संक्रमित 370 जिसमें 29 पॉजिटिव में लगभग 25 से 27 केस रामगंज के थे।
- 14 अप्रैल: सैम्पल रिसीव 8037 यानी 24 घंटो में 707 सैम्पल जयपुर में लिये गये जिसमें 83 पॉजिटिव केस आये और इसमे आधे से भी ज्यादा रामगंज इलाके के थे।
- 15 अप्रैल: सैम्पल रिसीव 8468 यानी 24 घंटो में घटकर सैम्पल 431 हो गये लेकिन फिर भी 30 पॉजिटिव केस सामने आए जिसमें अधिकांश मामले जयपुर के थे।
- 16 अप्रैल: सरकार को इन इलाकों से पॉजिटिव मामले मिलना बंद हो गए। सैम्पल रिसीव 8851 यानी 24 घंटो मे 383 सैम्पल लिये गये और पॉजिटिव मिले सिर्फ 3 वो भी रामगंज इलाके से एक भी नहीं।
- 17 अप्रैल: सैम्पल टोटल 9163 यानी 24 घंटो मे सैम्पल घट कर हो गये 312। जयपुर का एक भी पॉजिटिव नहीं। दिन भर मे एक भी जयपुर का पॉजिटिव नहीं मिला। शांम को आखिरी रिपोर्ट में जो 8 लोग आये भी वो अलग-अलग इलाकों से।
राजस्थान सरकार ने हाल मे ही यानी 16 अप्रैल को एक आदेश निकाला जिसने कई हद तक तमाम सवालों का जवाब दे दिया। सरकार की दलील है कि रामगंज जैसे इलाकों में 60 की उम्र या फिर एसे लोग जो डायबिटीज,अस्थमा, हाईपर टेंशन जैसी बीमारी वाले लोग या फिर इन इलाकों में कार्य करने वाले लोगों के हेल्थ केयरों की जांच की जायेगी।
अब सवाल सबसे बड़ा ये कि गहलोत सरकार ने एसी कौन सी जादु की छडी घुमा दी की अचानक राजस्थान के सबसे बडे़ संक्रमित इलाके से एक भी संक्रमित लोगों की संख्या सामने नहीं आ रही है। राजस्थान का जो सबसे बडा हॉटस्पॉट था अचानकर कैसे क्लीन हो गया जबकि साढे़ 7 लाख की आबादी वाले मोहल्ले में आधे लोगों का भी टेस्ट नहीं हुआ है।