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Coronavirus: केन्द्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा-अमेरिका में फंसे भारतीयों को निकालना संभव नहीं

केन्द्र ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि कोरोना वायरस महामारी की वजह से यात्राओं पर लगी पाबंदियों के कारण अमेरिका में फंसे भारतीय नागरिकों को निकालना और उन्हें वापस लाना इस समय संभव नहीं होगा। 

Reported by: Bhasha
Published : April 21, 2020 23:19 IST
Coronavirus:  केन्द्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा-अमेरिका में फंसे भारतीयों को निकालना संभव नहीं
Image Source : PTI Coronavirus:  केन्द्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा-अमेरिका में फंसे भारतीयों को निकालना संभव नहीं 

नयी दिल्ली: केन्द्र ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि कोरोना वायरस महामारी की वजह से यात्राओं पर लगी पाबंदियों के कारण अमेरिका में फंसे भारतीय नागरिकों को निकालना और उन्हें वापस लाना इस समय संभव नहीं होगा। शीर्ष अदालत ने सरकार के इस कथन का संज्ञान लेते हुये कहा कि फिलहाल भारतीयों को निकालने के मामले में वह कोई आदेश नहीं देगा। न्यायमूर्ति एन वी रमण, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति बी आर गवई की तीन सदस्यीय खंडपीठ के समक्ष वीडियो कांफ्रेन्सिग के माध्यम से सुनवाई के दौरान सरकार ने एक स्थिति रिपोर्ट पेश की और इस मामले में उठाये जा रहे कदमों से उसे अवगत कराया।

सरकार ने कहा कि अमेरिका में फंसे ‘जोखिम वाले व्यक्तियों के बारे में ’दो सप्ताह के भीतर मनोनीत अधिकारियों को प्रतिवेदन दिया जा सकता है। शीर्ष अदालत ने कहा कि अमेरिकी सरकार अमेरिका में अलग अलग स्थानों पर फंसे भारतीयों की वीजा अवधि बढ़ा रही है और ऐसी स्थिति में उन्हें वापस लाने के बारे में कोई भी आदेश देना मुश्किल है। पीठ ने अपने आदेश में कहा कि इस याचिका के जवाब में विस्तृत स्थिति रिपोर्ट दाखिल गयी है जिसमें उन सभी उपायों का जिक्र है जो भारत सरकार ने अभी तक किये हैं, जिससे उसके सक्रिय नजरिये का पता चलता है। 

पीठ ने आदेश में आगे कहा, ‘‘हालांकि, सॉलिसीटर जनरल का कहना है कि इस समय अमेरिका से लोगों को निकाल कर भारत लाना संभव है।’’ पीठ ने इसके साथ ही कोरोना वायरस संक्रमण के प्रति अधिक जोखिम वाले भारतीय नागरिकों, विशेषकर अस्थाई वीजा वालों को अमेरिका से वापस लाने के लिये दायर याचिका का निबटारा कर दिया। इस मामले की सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने टिप्पणी की कि कोरोना वायरस महामारी एक वैश्विक समस्या है और प्रत्येक देश इस स्थिति से निबटने के लिये अपने सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रहा है। पीठ ने कहा, ‘‘हम कितना भी चाहें, तत्काल उन्हें यहां नहीं ला सकते। उनकी मदद की जा रही है। वे पूरे अमेरिका में फैले हुये हैं और उन्हें वापस नहीं लाया जा सकता। अमेरिकी प्रशासन ने उनके वीजा की अवधि बढ़ा दी है। कुछ समय इंतजार करना होगा।’’ 

अमेरिका कोरोना वायरस महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित देश है जहां 40 हजार से भी अधिक लोगों की मृत्यु हो चुकी है और सवा सात लाख से ज्यादा इस संक्रमण के मामले हैं। यह याचिका दायर करने वाली वरिष्ठ अधिवक्ता विभा दत्ता मखीजा ने पीठ से कहा कि वीजा की अवधि बढ़ाने की फीस करीब 500 अमेरिकी डॉलर है और इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि वीजा की अवधि बढ़ेगी। केन्द्र की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि दूसरे देशों से लोगों को निकालने का काम पहले किया गया था लेकिन अब कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने से रोकने के लिए लागू यात्रा पाबंदियों के चलते अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसे बंद कर दिया गया है। 

पीठ ने ईरान में फंसे करीब 800 मछुआरों को सुरक्षित वापस लाने के लिये एक अन्य याचिका पर भी अलग से सुनवाई की। मेहता ने पीठ को सूचित किया कि ईरान में अंतर-प्रांतीय लॉकडाउन है और हम ईरान के दूतावास के सपंर्क में हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय दूतावास और वाणिज्य कार्यालय इन मछुआरों के संपर्क में हैं और वे उनके लिये भोजन की आपूर्ति का बंदोबस्त कर रहे हैं। याचिकाकर्ता के वकील ने इन मछुआरों को खाने और पानी की आपूर्ति का मुद्दा उठाया और कहा कि उन्हें ईरान से व्हाट्सएप पर संदेश मिला है जिसके अनुसार दूतावास ने भोजन की आपूर्ति करने वाली कंपनी को भुगतान नहीं किया है। 

 

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