नई दिल्ली: सीआरपीएफ ने कोविड-19 से लड़ने के लिए अपने जवानों के एक दिन के वेतन से एकत्र की गई 33.81 करोड़ रुपये की राशि प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष में दी है। अर्द्धसैनिक बल के एक प्रवक्ता ने कहा कि यह आम सहमति से लिया गया फैसला था और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) ‘‘देश के समक्ष कोरोना वायरस के चुनौतीपूर्ण समय में पूरी प्रतिबद्धता के साथ खड़ा है।’’
प्रवक्ता ने कहा, ‘‘यह तय किया गया कि सीआरपीएफ के कर्मचारी प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष में एक दिन के वेतन का योगदान करेंगे। प्रयास किया गया कि तुरंत योगदान किया जाए और इसका खुलासा नहीं किया जाए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘सेवा और निष्ठा के अपने उद्देश्य के साथ सीआरपीएफ हमेशा तत्पर है।’’
गृह मंत्रालय के तहत आने वाला सीआरपीएफ देश में आंतरिक सुरक्षा और नक्सल विरोधी अभियानों में संलग्न है जिसमें करीब सवा तीन लाख कर्मी हैं। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल 27 जुलाई 1939 को शाही प्रतिनिधि के पुलिस के रूप में अस्तित्व में आया जो 28 दिसंबर 1949 को सीआरपीएफ अधिनियम के लागू होने पर केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल बन गया। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल गौरवशाली इतिहास के 80 वर्ष पूरे कर चुका है।
यह बल 246 बटालियनों (208 बटालियनों, 6 महिला बटालियनों, 15 आर.ए.एफ. बटालियनों, 5 बेतार बटालियनों और 1 विशेष ड्यूटी ग्रुप, 1 संसदीय ड्यूटी ग्रुप), 43 ग्रुप केंद्रों, 20 प्रशिक्षण संस्थानों, 3 सी.डब्ल्यू.एस., 7 ए.डब्ल्यू.एस., 3 एस.डब्ल्यू.एस., 100 बिस्तरे 4 संयुक्त अस्पतालों और 50 बिस्तरे 17 संयुक्त अस्पतालों के साथ एक बड़े संगठन के रूप में विकसित हुआ है।