नई दिल्ली: 31 दिसंबर 2019 को जब पूरी दुनिया नए साल का जश्म मनाने की तैयारियां कर रही थी तभी चीन के वुहान शहर से एक खबर आई। खबर थी कोरोना वायरस की। ये पहला मौका था जब दुनिया को कोरोना वायरस के होने का अहसास हुआ। इसके करीब दो महीने बाद अब कोरोना वायरस एक 'डर' बन चुका है। दुनिया के करीब 80 से ज्यादा देशों में कोरोना वायरस फैल गया है लेकिन किसी के भी पास इसकी वैक्सीन (टीका) नहीं है।
संभव है इलाज, 102235 मरीजों में से 57622 ठीक
हालांकि, ऐसा नहीं है कि कोरोना वायरस की कोई वैक्सीन नहीं है तो इसका इलाज संभव नहीं है। इसका इलाज संभव है और कई मरीज ठीक भी हो रहे हैं। 07 मार्च की सुबह 10.29 मिनट तक दुनियाभर में कोरोना वायरस के कुल 102,235 केस सामने आए। इसमें से 57,622 ठीक हो गए, 34,963 की हालत में काफी सुधार है, 3,497 मर गए और 6,153 लोगों की हालत गंभीर बनी हुई है। ये जानकारी दुनियाभर से अलग-अलग विषयों पर आंकड़ें जुटाने वाली संस्था वर्ल्डोमीटर्स की हैं।
चीन, एस. कोरिया, ईरान और इटली सबसे ज्यादा प्रभावित
वर्ल्डोमीटर्स के मुताबिक, कुल 102,235 मामलों में से सिर्फ चीन में 80,651 मामले हैं। इसमें से 3,070 की मौत हो गई जबकि 55,415 लोग ठीक हो गए। यहां 5,489 की हालत गंभीर है। चीन में कुल अभी 22,166 केस एक्टिव हैं। इसके अलावा कोरोना वायरस से इटली- दूसरा, ईरान- तीसरा और साउथ कोरिया- चौथा सबसे ज्यादा प्रभावित देश है। भारत में भी कोरोना वायरस के 31 पॉजिटिव केस सामने आए हैं। जिसमें से तीन ठीक हो गए हैं जबकि 28 अभी एक्टिव हैं।
3.4% है कोरोना वायरस का मोर्टेलिटी रेट
कोरोना वायरस का मोर्टेलिटी रेट दूसरे कई वायरसों के मुकाबले कम है लेकिन यह तेजी से फैलता है। वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन (WHO) के मुताबिक, 3 मार्च 2020 तक कोरोना वायरस का मोर्टेलिटी रेट 3.4% था। वहीं, शुरुआत में इसका मोर्टेलिटी रेट 2 फीसदी दर्ज किया गया था। मोर्टेलिटी रेट बताता है कि एक समय में कुल लोगों में से कितने लोगों की मौत हुई। इसे कभी-कभी डेथ रेट भी कहा जाता है।
SARS और MERS से कम है कोराना का मोर्टेलिटी रेट
2012 में MERS कोरोना वायरस सामने आया था। इसकी सबसे पहले सउदी अरब में पहचान हुई थी। बाद में यह वायरस 27 देशों में फैल गया था। WHO के मुताबिक, इसका मोर्टेलिटी रेट करीब 35% था यानि अभी के कोरोना वायरस से करीब 11 फीसदी ज्यादा। वहीं, 2002-2003 में SARS कोरोना वायरस सामने आया था, जो बाद में 26 देशों में फैला। इसका मोर्टेलिटी रेट करीब 10 फीसदी था यानि आज के कोरोना वायरस से करीब 3 गुना ज्यादा।
जानवरों से आए थे SARS और MERS कोरोना वायरस
MERS और SARS कोरोना वायरस जानवरों से इंसानों में पहुंचा था। WHO के मुताबिक, MERS एक जोनोटिक वायरस था, जिसका मतलब होता है जानवरों से इंसानों में फैसले वाला वायरस। रिसर्च में पता चला था कि ये वायरस ऊंट से इंसान में पहुंचा था। वहीं, SARS कोरोना वायरस भी जानवरों से ही इंसानों में पहुंचा था। हालांकि, यह पूरी तरह से पता नहीं चला था कि यह वायरस किस जानवर के जरिए फैला। लेकिन, चमगादड़ और सिवेट कैट पर इसका शक है।
SARS और MERS को हराया
2002-2003 और 2012 में भी दुनिया का सामना दो कोरोना वायरस से हुआ था। जिनका मोर्टेलिटी रेट मौजूदा कोरोना वायरस से कई गुना ज्यादा था। लेकिन, दुनिया मिलकर लड़ी और उन्हें हरा दिया। उस वक्त भी SARS और MERS की कोई वैक्सीन दुनिया के किसी भी देश के पास नहीं थी और आज एक बार फिर ऐसी ही स्थिती है। मौजूदा कोरोना वायरस की भी कोई वैक्सीन किसी देश के पास नहीं है। लेकिन, फिर भी इससे लड़ाई जारी है और इसे कंट्रोल भी किया जा रहा है।