नई दिल्ली | अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक और भारत के प्रमुख चिकित्सा विशेषज्ञों में से एक रणदीप गुलेरिया ने दावा किया है कि देश में कोरोना वायरस के मामलों अभी तक अपने चरम नहीं पहुंचे हैं। यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब देश में हर दो दिन में कम से कम एक लाख नए संक्रमण के मामले जुड़ रहे हैं। 30 जनवरी को पहला मामला सामने आने के बाद से अब तक 23 लाख से अधिक मामले दर्ज किए जा चुके हैं। संक्रमण की वजह से अभी तक 46,000 से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।
गुलेरिया महामारी की निगरानी करने वाली एक कोर टीम का हिस्सा भी हैं। उन्होंने कहा कि यह परीक्षा लेने वाला समय है, मगर भारत में अभी भी संक्रमण अपने चरम पर नहीं पहुंचा है।
वैक्सीन के विकसित होने को लेकर उन्होंने कहा कि भारत को इससे काफी फायदा होगा, क्योंकि यह दुनिया के लगभग 60 प्रतिशत वैक्सीन या टीके बनाता है।
उन्होंने कहा, "हमारे पास बड़ी संख्या में टीके बनाने की क्षमता है और सरकार और निर्माताओं ने जो प्रतिबद्धता दिखाई है, वह यह है कि हम अपनी विनिर्माण क्षमता को न केवल अपने देश के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए सक्षम कर पाएंगे।"
भारत में तीन वैक्सीन उम्मीदवार मानव नैदानिक (ह्यूमन क्लीनिकल) परीक्षणों के विभिन्न चरणों में हैं। पहला पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया व ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा, दूसरा भारत बायोटेक द्वारा और तीसरा जायडस कैडिला द्वारा परीक्षण किया जा रहा है।
देश के शीर्ष पल्मोनोलॉजिस्ट ने कहा कि विभिन्न देशों के बीच सहयोगात्मक कार्य के कारण वैक्सीन बनाने की प्रक्रिया इतनी तेजी से आगे बढ़ी है।
गुलेरिया ने कहा कि महामारी ने शोधकतार्ओं, निमार्ता और उद्योग को हमारे सामने आने वाली किसी भी कठिनाई को दूर करने के एक साथ आने पर मजबूर किया है।
गुलेरिया ने हालांकि रूसी वैक्सीन के संबंध में सावधानी बरतने की सलाह दी, जिसे दुनिया की पहली कोरोनावायरस वैक्सीन कहा जा रहा है। उन्होंने सुरक्षा पहलू के बारे में कहा कि यह मुद्दा सिर्फ यह सुनिश्चित करने के लिए होगा कि टीका सुरक्षित और प्रभावकारी हो।
गुलेरिया ने कहा, "कोई भी वैक्सीन, जो बड़ी संख्या में उन लोगों पर आजमाई जाती है, जो बुजुर्ग हैं या जिन्हें पहले से ही बीमारी हैं तो सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण चीज होती है।"
बता दें कि हाल ही में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने घोषणा की है कि रूस ने कोरोनावायरस की वैक्सीन बना ली है, जिसके बाद गुलेरिया की यह टिप्पणी आई है।