नई दिल्ली: चीन के वुहान से 324 भारतीय छात्र भारत लौट आए हैं। इन छात्रों को एयर इंडिया के स्पेशल विमान से भारत लाया गया है। इन्हें मानेसर में सेना के सेंटर में निगरानी में रखा जाएगा। मानेसर में ये छात्र करीब दो हफ्ते तक रखे जाएंगे। मेडिकल जांच पड़ताल के बाद छात्रों को उनके घर भेज दिया जाएगा। मेडिकल के इन छात्रों ने सरकार से मदद मांगी थी जिसके बाद इनको वुहान से रेस्क्यू किया जा रहा है।
भारत सरकार ने शेष भारतीय नागरिकों को कम से कम 2 सप्ताह तक अलग रखने का फैसला किया है। इसी फैसले के तहत चीन से लौटे सभी भारतीयों को भारत-तिब्बत सीमा पुलिस की बिल्डिंग और इंडियन आर्म फोर्स मेडिकल सर्विसेज के भवन में रखा जाएगा। दिल्ली और हरियाणा में बने अस्थायी कैंप में ले जाने से पहले चीन से आने वाले सभी भारतीयों की गहन जांच की जाएगी, जिसमें थर्मल स्क्रीनिंग भी शामिल है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "चीन से आने वाले करीब 324 भारतीय नागरिकों को भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के बाहरी दिल्ली स्थित छावला कैंप और हरियाणा स्थित मानेसर में ठहराया जाएगा। ये सभी भारतीय चीन के वुहान प्रांत से लौट रहे हैं। चीन के वुहान प्रांत से आने वाले छात्र व अन्य भारतीयों को 2 सप्ताह तक रखने की व्यवस्था की गई है। इस दौरान चीन से आए ये सभी लोग अपने परिवार समेत किसी भी अन्य व्यक्ति से नहीं मिलेंगे।"
विशेषज्ञों के मुताबिक, ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि चीन से आए किसी भी भारतीय नागरिक के शरीर में संक्रमण का कोई वायरस मौजूद रहा तो इन 2 सप्ताह के दौरान उस वायरस की पहचान रोकथाम और उपचार किया जा सकेगा।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा, "चीन के वुहान राज्य में ही 500 से अधिक भारतीय हैं। चीन सरकार ने सभी भारतीयों को सुरक्षित एवं एकांत स्थान पर रखा है। हमारा विदेश मंत्रालय भारतीय नागरिकों के विषय पर चीन की सरकार के साथ संपर्क में है और जल्द ही भारत लौटने के इच्छुक सभी नागरिकों को स्वदेश लाया जाएगा।"
वुहान में कोरोना वायरस का सबसे अधिक प्रकोप है। बता दें कि चीन के हुबाई में भी 700 भारतीय नागरिक फंसे हुए हैं। इन 700 भारतीयों को भी रेस्क्यू किया जा सकता है। चीन में अब तक 258 लोगों की जान कोरोना वायरस ले चुका है और करीब 23 देशों में कोरोना वायरस का प्रकोप है।