नई दिल्ली. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े मजदूर संघ, भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए विशेष राहत पैकेज की मांग की है। इसके लिए बीएमएस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है। प्रधानमंत्री मोदी को लिखे पत्र में बीएमएस ने कहा है कि देश में 93 फीसदी रोजगार असंगठित क्षेत्र से है।
कोरोना आपदा का सबसे अधिक असर दिहाड़ी मजदूरों, संविदा कर्मचारियों (कॉट्रेक्ट लेबर), कुटीर उद्योग, कृषि श्रमिकों, निर्माण क्षेत्र के मजदूरों और दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों पर पड़ा है। लिहाजा सरकार प्राथमिकता के आधार पर इनके लिए प्रभावी कदम उठाये।
बीएमएस ने पत्र में मांग की है कि अलग-अलग जगहों में फंसे श्रमिकों के लिए राहत पैकेज की घोषणा की जाए। पत्र में कहा गया है कि बड़ी संख्या में ऐसे श्रमिक हैं, जो किसी भी राज्य में पंजीकृत नहीं हैं। उन्हें सरकार की योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
ऐसे लोगों के लिए शेल्टर होम, भोजन की व्यवस्था की जाये। पत्र में याद दिलाया गया है कि लॉकडाउन खत्म होने के बाद उद्योग जगत के सामने मानव संसाधन का एक बड़ा संकट होगा, इसलिए जरूरी है कि चरणबद्ध तरीके से लॉकडाउन को हटाया जाए। वापस लौटने वाले श्रमिकों के लिए पुनर्वास और उनके रहने-खाने की व्यवस्था भी करनी होगी।
बीएमएस ने कहा है कि उत्तर प्रदेश, गुजरात, केरल, त्रिपुरा समेत कुछ राज्यों को छोड़ दिया जाए तो राहत पैकेज की घोषणा के बाद भी राज्यों ने राहत राशि का पैसा अब तक प्रभावित लोगों को नहीं दिया है। सबसे बुरा हाल तमिलनाडु में है, जहां 10 फीसदी लोग भूखमरी के कगार पर हैं। यह आपातकालीन स्थिति है। केंद्र को ऐसी स्थिति में हस्तक्षेप करना चाहिए।
बीएमएस ने कहा है कि तमिलनाडु, केरल, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में मत्स्यपालन से जुड़े लोगों लोग आर्थिक रूप से बिखर चुके हैं। लेकिन अब तक उन्हें सरकार की ओर से एक रुपये की आर्थिक मदद नहीं मिली है।
इसी तरह असम, पश्चिम बंगाल और केरल में बागवानी से जुड़े लोग बहुत अधिक पीड़ित हुए हैं। असम की सरकार ने उनके लिए मात्र 500 रुपये की मदद की घोषणा की है, जबकि पश्चिम बंगाल की ओर से तो अब तक किसी तरह के किसी राहत की घोषणा नहीं हुई है। ऐसे में केंद्र सरकार इन राज्य सरकारों को तत्काल जरूरी निर्देश जारी करे।
बीएमएस ने कहा कि आज आपदा के समय पैरामेडिकल, पॉवर, कोल, माइनिंग, परिवहन बैंकिंग समेत कई क्षेत्रों के कर्मचार अपने कर्तव्यपथ पर डटे रहे हैं। सरकार ऐसे कर्मचारियों के लिए अलग से प्रोत्साहन राशि दे। इन सभी कर्मचारियों के लिए अलग से बीमा व मुआवजे की घोषणा की जाए।
मजदूर संघ ने कृषि उत्पादों का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाये जाने की भी मांग की है। पत्र में प्रधानमंत्री से अपील की गई है कि यह समय कृषि कार्य पूरे किए जाने का हैं, लेकिन मजदूर न मिलने के कारण कृषि का कार्य ठप पड़ गया है। ऐसे में कटाई और उत्पादों के रखरखाव की तत्काल व्यवस्था की जानी चाहिए। कपड़ा, मत्स्य, पशुपालन से जुड़े श्रमिकों के लिए अलग राहत पैकेज दिया जाए। धार्मिक प्रतिष्ठानों जैसे मंदिरों आदि में कार्य करने वाले पुजारियों की भी चिंता सरकार को करनी चाहिए।
भारतीय मजदूर संघ ने गुजारिश की है कि पीएम केयर्स फंड में जो पैसा संकट की इस घड़ी में लोग और संस्थाएं दे रही हैं। वह पूंजी देश के श्रमिकों की मेहनत से तैयार हुई है। ऐसे में ट्रेड यूनियन के सदस्यों को प्रधानमंत्री रिलीज फंड और पीएम केयर्स बोर्ड में नामित किया जाए। यह श्रमिक संगठनों की जिम्मेदारी है कि वह जनता के पैसे पर न सिर्फ नजर रखे बल्कि उसका प्रभावी इस्तेमाल हो।