नई दिल्ली: ‘एक देश, एक चुनाव’ सहित अन्य मुद्दों पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा बुधवार को आहूत सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस के अलावा विपक्ष के प्रमुख नेताओं में बसपा अध्यक्ष मायावती और तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी ने हिस्सा नहीं लिया। हालांकि, वाम दलों की ओर से माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी एवं अन्य नेताओं ने इसमें भाग लिया। सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस के शामिल नहीं होने की पुष्टि करते हुए पार्टी के एक सूत्र ने बताया कि कांग्रेस इस बैठक में शामिल नहीं है, क्योंकि एक राष्ट्र, एक चुनाव के विचार से वह सहमत नहीं है।
सूत्रों के अनुसार तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बैठक में भाग नहीं ले रहे। हालांकि, उन्होंने अपने प्रतिनिधियों को बैठक में भेजा है। द्रमुक अध्यक्ष एम के स्टालिन भी बैठक में शामिल नहीं हुए। बुधवार को मायावती ने ट्वीट कर कहा कि अगर ईवीएम के मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक होती तो वह इसमें जरूर शामिल होती।
सपा के सूत्रों ने बताया कि पार्टी ‘एक देश एक चुनाव’ विचार के विरोध में है और पार्टी का कोई प्रतिनिधि इस बारे में होने वाली में शिरकत नहीं करेगा। सूत्रों के अनुसार दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने पार्टी के नेता राघव चड्ढा को पार्टी के प्रतिनिधि के रूप में बैठक में भेजने का फैसला किया।
बैठक में टीआरएस की तरफ से चंद्रशेखर राव के पुत्र और पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष के टी रामाराव हिस्सा ले रहे हैं। इसके अलावा वाम दलों की ओर से येचुरी और भाकपा के सुधाकर रेड्डी भी बैठक में शामिल हो रहे हैं। भाकपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि सभी वाम दलों के प्रतिनिधि बैठक में हिस्सा लेंगे। वहीं माकपा की ओर से येचुरी द्वारा बैठक में पेश किये जाने वाले प्रस्ताव में ‘एक देश एक चुनाव’ को संघीय ढांचे और लोकतांत्रिक व्यवस्था के प्रतिकूल बताते हुये इस विचार को संविधान विरूद्ध बताया गया है।
उल्लेखनीय है कि मोदी ने लोकसभा और सभी विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने तथा महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के आयोजन सहित अन्य मुद्दों पर सर्वदलीय बैठक बुलायी है। बनर्जी ने भी एक देश एक चुनाव के मुद्दे पर आहूत बैठक का आमंत्रण ठुकराते हुये सरकार से इस मुद्दे पर व्यापक विचार मंथन के लिये श्वेत पत्र जारी करने की मांग की थी। बैठक में शामिल होने के मुद्दे पर संप्रग के घटक दलों की मंगलवार को बैठक हुयी थी। इसमें समान विचारधारा वाले अन्य दलों के साथ विचार विमर्श करने के बाद ही साझा रुख तय करने का निर्णय किया गया था।