चंडीगढ़। पंजाब में दो विधायकों के बेटों को सरकारी नौकरी दिये जाने के मामले पर कांग्रेस की राज्य इकाई में तकरार के बीच पार्टी के सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने सोमवार को विधायकों से इस पेशकश को ठुकराने का आग्रह किया। बाजवा ने विधायकों फतेहजंग सिंह और राकेश पांडे से यह अपील की। सिंह के बेटे अर्जुन प्रताप बाजवा को ''अनुकंपा'' के आधार पर पुलिस निरीक्षक जबकि पांडे के बेटे भीष्म पांडे को नायब तहसीलदार बनाया गया है। प्रताप सिंह बाजवा कादियान से विधायक फतेहजंग सिंह बाजवा के बड़े भाई भी हैं। राकेश पांडे लुधियाना से कांग्रेस के विधायक हैं। सरकारी नौकरी के लाभार्थी अर्जुन बाजवा, पंजाब के पूर्व मंत्री सतनाम सिंह बाजवा के पोते हैं।
अमरिंदर सिंह सरकार का कहना है कि सतनाम सिंह बाजवा ने 1987 में राज्य में शांति और सद्भाव के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी थी। इसी तरह, भीष्म पांडे राज्य के पूर्व मंत्री जोगिंदर पाल पांडे के पोते हैं। सरकार के मुताबिक जोगिंदर की 1987 में आतंकवादियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रताप सिंह बाजवा ने सोमवार को कहा कि सतनाम सिंह बाजवा और जोगिंदर पाल पांडे ऐसे जन नेता थे, जिन्होंने कई दशकों तक जनता की सेवा की।
बाजवा ने कहा कि उन्होंने पंजाब में आतंकवाद के अंधकारमय समय में देश की एकता और अखंडता की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी। बाजवा ने एक बयान में कहा, ''उनकी लंबी विरासत को देखते हुए मैं अपने छोटे भाई विधायक फतेहजंग सिंह बाजवा और मेरे सहयोगी विधायक राकेश पांडे से अपील करता हूं कि वे स्वेच्छा से, अनुकंपा के आधार पर अपने बेटों को नौकरी देने का प्रस्ताव ठुकरा दें। मुझे यकीन है कि दिवंगत नेताओं की याद को सम्मान देने का यह सबसे अच्छा तरीका होगा।'' पंजाब सरकार के इस कदम से कांग्रेस की राज्य इकाई के प्रमुख सुनील जाखड़ समेत कई नेता नाराज हैं।