नई दिल्ली: तिब्बत के अध्यात्मिक नेता दलाई लामा की मौजूदा अरूणाचल प्रदेश यात्रा पर चीन की आपत्ति को खारिज करने में आज लोकसभा में सत्तापक्ष और विपक्ष एकजुट नजर आया। कांग्रेस के एक सदस्य ने दलाई लामा को भारत का दोस्त बताने के साथ ही कड़े शब्दों में कहा चीन कौन होता है भारत के मामलों में दखल देने वाला? उनकी इस बात का सत्तापक्ष और विपक्ष के सदस्यों ने मेजे थपथपाकर स्वागत किया।
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लोकसभा में कांग्रेस के वरिष्ठ सदस्य और अरूणाचल प्रदेश से सांसद निनोंग इरिंग ने कहा, अरूणाचल प्रदेश एक संवेदनशील मामला है। चीन उस पर दावा करता है। चीन कौन होता है दावा करने वाला ? चीन कौन होता है हमें यह बताने वाला कि केंद्र सरकार को कैसे काम करना चाहिए?
उन्होंने पुरजोर शब्दों में कहा, दलाई लामा हमारे दोस्त हैं, मेहमान हैं। उन्होंने भारत में शरण ली है और हम आज भी उन्हें तिब्बती परिषद का नेता मानते हैं। इरिंग की इस बात का सत्ता पक्ष के साथ ही लगभग समूचे विपक्षी सदस्यों ने मेजें थपथपाकर समर्थन किया।
उल्लेखनीय है कि दलाई लामा इन दिनों अरूणाचल प्रदेश की नौ दिवसीय धार्मिक यात्रा पर हैं। चीन ने कल भारत पर आरोप लगाया था कि उसने दलाई लामा को अरूणाचल प्रदेश का दौरा करने की इजाजत देकर तनाव बढ़ाया है और बीजिंग के हितों को नुकसान पहुंचाया है।
इस विवाद के बीच चीन की सरकारी मीडिया ने कल भारत को चेतावनी दी थी कि अधिक सैन्य ताकत वाला चीन भूराजनीतिक खेल शुरू कर सकता है क्योंकि भारत के अशांत उत्तरी प्रांत की सीमा उससे लगी हुई है। उसका इशारा कश्मीर की तरफ था।
सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने अपने एक संपादकीय में कहा था, भारत से कई गुना अधिक जीडीपी, हिंद महासागर तक पहुंच रखने में सक्षम सैन्य क्षमता और भारत के पड़ोसी देशों के साथ अच्छे संबंध और यह कि भारत के उत्तरी अशांत प्रांत की सीमा चीन से मिलती है, इन सब बातों के मद्देनजर चीन भारत के साथ भूराजनीतिक खेल में शामिल होता है तो क्या बीजिंग नयी दिल्ली के समक्ष हार जाएगा?
अखबार ने कहा, अगर भारत चीन-भारत संबंधों को बर्बाद करता है और दोनों देश खुले प्रतिद्वंद्वी बन जाते हैं तो क्या भारत इसके परिणाम का वहन कर सकता है। कांग्रेस के निनोंग इरिंग ने सदन में अपनी ही पार्टी के सदस्य विन्सेंट पाला द्वारा लाए गए निजी विधेयक संविधान की छठी अनुसूची (संशोधन) विधेयक 2015 पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए यह बात कही।
उन्होंने दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरू में पूर्वोत्तर के छात्र छात्राओं के नस्लीय भेदभाव का शिकार होने का मुद्दा उठाते हुए इस पर रोक लगाने के लिए आज लोकसभा में कड़ा कानून बनाने की मांग की। कांग्रेस सदस्य ने कहा कि जब अमेरिका, आस्ट्रेलिया में भारतीयों के साथ नस्लीय भेदभाव की बात सुनते हैं तो हम लेागों को खराब लगता है और हमें भी पूर्वोत्तर के छात्रों के साथ मारपीट की घटनाओं और नस्लीय भेदभाव को लेकर भी ऐसा ही महसूस होता है।
उन्होंने साथ ही चकमा शरणार्थियों की समस्या पर कहा कि केंद्र सरकार चाहे तो उन्हें भारतीय नागरिकता दे सकती है लेकिन उन्हें अरूणाचल प्रदेश के बाशिंदे बनाकर वहां बसाए जाने को प्रदेश की जनता बर्दाश्त नहीं करेगी।