बेंगलूरू: कर्नाटक में कांग्रेस के दलित चेहरे और प्रदेश इकाई के प्रमुख जी परमेश्वर को आखिरकार उपमुख्यमंत्री का पद मिल गया जिसके वह लंबे समय से दावेदार थे।अक्तूबर 2010 से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में सबसे लंबे समय से सेवारत परमेश्वर कांग्रेस से जुड़ने के समय से ही पार्टी के प्रति हमेशा वफादार रहे हैं। संपन्न परिवार में जन्मे शिक्षाविद , स्पष्टवादी , मृदुभाषी और शिष्ट छवि वाले परमेश्वर ने राजनीति में प्रसिद्धि पाने से पहले विभिन्न क्षेत्रों में काम किया। वैटे एग्रीकल्चर रिसर्च सेंटर ऑफ यूनिवर्सिटी ऑफ एडीलेड से पादप क्रियाविज्ञान में पीएचडी करने वाले परमेश्वर श्री सिद्धार्थ प्रौद्योगिकी संस्थान में प्रशासनिक अधिकारी बने। यह उनके परिवार द्वारा बनाई गई संस्थाओं के समूह से संबद्ध है।
उन्होंने बेंगलूरू स्थित कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय से कृषि में बीएससी और एमएससी की पढ़ाई की।
राजीव गांधी के साथ 1989 में हुई मुलाकात ने उनकी किस्मत बदल दी। राजीव गांधी ने परमेश्वर के भीतर संभावना देखी थी और उन्हें राजनीति में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया था। इसके बाद परमेश्वर उनसे मिलने दिल्ली गए थे। उन्हें तब कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस का संयुक्त सचिव बनाया गया था। परमेश्वर कांग्रेस के प्रति वफादारी के मामले में हमेशा अडिग रहे , यहां तक कि तब भी जब पार्टी खराब समय से गुजर रही थी। वर्ष 1989 में ही उन्होंने चुनावी राजनीति में किस्मत आजमाई और मधुगिरि में जनता दल के अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को हरा दिया।परमेश्वर ने वर्ष 1999 के विधानसभा चुनाव में मधुगिरि से अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को 55,802 मतों के बड़े अंतर से हराया था। वर्ष 1999 में वह पहली बार मंत्री बने और एसएम कृष्णा सरकार में उन्हें उच्च शिक्षा तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) का पद मिला। तीन साल बाद उन्हें पदोन्नत कर कैबिनेट मंत्री बना दिया गया।
दिसंबर 2003 में वह सूचना एवं प्रचार मंत्री बने। वर्ष 2008 में उन्होंने अपना निर्वाचन क्षेत्र बदल लिया और तुमकुरु जिले में कोरटागेरे से चुनाव लड़ा। पांच बार विधायक रहे परमेश्वर 2013 में तब विधानसभा चुनाव हार गए जब वह कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष थे। तब वह मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे। चुनाव हारने के बावजूद उन्हें विधान परिषद सदस्य बनाया गया और सिद्धरमैया सरकार में मंत्री पद भी दिया गया। हालिया विधानसभा चुनाव में वह कोरटागेरे से फिर चुनाव जीत गए। राज्य में जेडीएस - कांग्रेस गठबंधन होने के बीच परमेश्वर ने कहा कि गठबंधन के लिए आगे समय कठिन है , लेकिन भाजपा को दक्षिणी राज्य में सरकार बनाने से रोकने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा था कि वह उन लोगों की भावनाओं को समझते हैं जो कांग्रेस - जेडीएस गठबंधन के खिलाफ हैं , लेकिन कांग्रेस ने सांप्रदायिक ताकतों को सत्ता से दूर रखने के लिए जेडीएस को समर्थन दिया है।