भोपाल: EVM को लेकर हमेशा भाजपा को कटघरे में खड़ा करने वाली कांग्रेस ने एक बार फिर EVM का मुद्दा उठाया है। लेकिन, इस बार EVM पर संदेह कांग्रेस को अपनी ही सरकार में रहते हुए दो महीने बाद होने वाले नगर निगम के चुनाव को लेकर है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने चुनाव आयोग को ज्ञापन दिया कि मध्य प्रदेश में आगामी नगरीय निकाय चुनाव EVM की बजाय बैलेट पेपर से कराए जाएं। वहीं, भाजपा का मानना है कि सरकार बैलेट पेपर के चुनाव कराकर चुनाव में धांधली कराना चाहती है।
मध्य प्रदेश की सत्ता में 15 साल बाद वापसी करने वाली कांग्रेस को अब EVM पर भरोसा नहीं है। शायद यही वजह है कि कांग्रेस नेता चुनाव आयोग जाकर ज्ञापन देकर आये हैं कि मध्य प्रदेश में होने वाले नगरीय निकाय चुनाव EVM के बदले बैलेट पेपर से कराए जाएं। हाल ही में छत्तीसगढ़ में हुए नगरीय निकाय चुनाव बैलेट पेपर से हुए, जिसके बाद राज्य की सभी नगरीय निकाय पर सत्तारूढ़ कांग्रेस का कब्ज़ा हो गया।
इसके बाद मानो कांग्रेस को निकाय चुनाव जीतने का फार्मूला मिल गया। अब यही फॉर्मूला वो मध्यप्रदेश में आजमाना चाहती है। कांग्रेस सरकार के मंत्री बृजेंद्र सिंह राठौर ने इंडिया टीवी को बताया कि विधानसभा चुनाव में भले ही कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनी हो लेकिन फिर भी पार्टी को जितनी सीटें मिलनी थी उससे कहीं कम सीट मिलीं जबकि बैलेट पेपर होता तो कांग्रेस एकतरफा जीत हासिल करती।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता जेपी धनोपिया ने चुनाव आयोग को दिए पत्र में मांग की है कि प्रदेश की आम जनता में EVM को लेकर कई प्रकार की भांति हो रही है ऐसी स्थिति में आगामी निकाय चुनाव EVM द्वारा ही मतदान कराए जाने की व्यवस्था की जाए। जेपी धनोपिया ने कहा कि 2018 और 2019 के चुनाव में EVM से मतदान का अनुभव संतोषजनक नहीं रहा।