नई दिल्ली: राजस्थान के उदयपुर और राजसमंद दोनों इलाकों में कम्युनल टेंशन हैं और दफा 144 लागू कर दी गई है। कुछ दिन पहले एक सिरफिरे शख्स ने एक मजदूर की हत्या कर दी और हत्या का वीडियो सोशल नेटवर्किंग साइटस पर अपलोड कर दिया। शंभू लाल रैगर नाम के हत्यारे ने दावा किया किया लव जिहाद के खिलाफ उसने यह हत्या की है। हत्यारा जेल में है लेकिन इस हत्या को हिन्दु-मुसलमानों का मसला बना दिया गया। कुछ लोग शंभू रैगर के पक्ष में खड़े हो गए जबकि मुसलमानों ने इसे मुसलमानों के खिलाफ साजिश के तौर पर पेश किया। चिंगारी भड़की...बाकी काम सोशल मीडिया ने कर दिया। पिछले दो दिनों से सोशल मीडिया में बहुत से वीडियो वायरल हुए। आज कुछ लोगों ने उदयपुर में रैली निकालने की कोशिश की लेकिन पुलिस ने उन्हें दौड़ा-दौड़ा कर पीटा। एहतियात के तौर पर राजसमंद और उदयपुर में अगले चौबीस घंटे तक मोबाइल और इंटरनेट बैन किया गया है।
लेकिन ये सब बारह दिसंबर से ही शुरु हो गया था जब उदयपुर में मुस्लिम संगठनों ने मिलकर जमकर नारेबाजी की। बंगाली मजदूर की हत्या के खिलाफ उदयपुर में इकट्ठा हुए। इस दौरान चेतक सर्कल पर नरेन्द्र मोदी, बजरंग दल और विश्व हिन्दू परिषद के खिलाफ नारेबाजी हुई। यहां तक कहा गया कि अगर हिंदुस्तान में रहना होगा तो अल्लाह हु अकबर कहना होगा।
यह मामला हत्या का है। अपराधी ने हत्या का वीडियो बनाया और सोशल मीडिया पर वायरल किया। जांच के बाद ये भी साफ हो गया कि मामला आपसी दुश्मनी का था। हत्यारे ने उसे कम्य़ुनल कलर देने की कोशिश की और दुख की बात ये है कि उसकी इस साजिश में समाज के इतने सारे लोग फंस गए।
एक तरफ मुसलमान इक्कठा हो गए दूसरी तरफ हिन्दू संगठन। इसकी जितनी निंदा की जाए कम है। पुलिस को माहौल खराब करने वालों के खिलाफ पूरी सख्ती से निपटना चाहिए।इसके अलावा उन लोगों के खिलाफ भी एक्शन लेना चाहिए