तिरूवेदांती (तमिलनाडु ): प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि शांति के लिए भारत की प्रतिबद्धता उतनी ही मजबूत है जितनी मजबूत प्रतिबद्धता उसकी अपनी भूभागीय सुरक्षा के लिए है। साथ ही उन्होंने कहा कि इस उद्देश्य की खातिर सशस्त्र सेनाओं को हथियारों से लैस करने के लिए सरकार सभी जरूरी कदम उठाने को तैयार है। प्रधानमंत्री ने तमिलनाडु के तिरूवेदांती में आयोजित रक्षा प्रदर्शनी का औपचारिक उद्घाटन करने के बाद उक्त टिप्पणी की। गौरतलब है कि उक्त आयोजन और प्रधानमंत्री की टिप्पणी भारत के साथ करीब 4,000 किलोमीटर लंबी सीमा पर चीन द्वारा गतिविधियां बढ़ाए जाने तथा हिन्द - प्रशांत क्षेत्र में चीन की ओर से प्रभाव बढ़ाने के प्रयासों की पृष्ठभूमि में आयी है। रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने संबंधी अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाते हुए मोदी ने पूर्ववर्ती संप्रग सरकार पर रक्षा क्षेत्र में नीतिगत जड़ता का आरोप भी लगाया।
उन्होंने कहा कि इस नीतिगत जड़ता के कारण रक्षा तैयारियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। विदेशी और घरेलू रक्षा कंपनियों के शीर्ष पदाधिकारियों की मौजूदगी में मोदी ने कहा , ‘‘ एक वक्त था जब रक्षा तैयारियों का महत्वपूर्ण मसला नीतिगत जड़ता के कारण प्रभावित होता था। हमने देखा है कि ऐसा आलस्य, अक्षमता और संभवत: कुछ निहित स्वार्थ किस प्रकार से देश को नुकसान पहुंचा सकते हैं। लेकिन अब नहीं, अब बिलकुल नहीं, कभी भी नहीं। ’’ हालांकि दो साल में एक बार आयोजित होने वाली यह चार दिवसीय रक्षा प्रदर्शनी कल ही शुरू हो चुकी है लेकिन प्रधानमंत्री ने आज इसका औपचारिक उद्घाटन किया। कार्यक्रम में रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण , तमिलनाडु के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित , मुख्यमंत्री ई. पलानीस्वामी, उपमुख्यमंत्री ओ. पनीरसेल्वम और कई देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ शांति के लिए हमारी प्रतिबद्धता उतनी ही मजबूत है जितनी मजबूत हमारी प्रतिबद्धता हमारे लोगों और सीमाओं की रक्षा के लिए है। इसके लिए हम सशस्त्र सेनाओं को हथियारों से लैस करने की खातिर हर कदम उठाने को तैयार हैं।’’ कावेरी जल मुद्दे को लेकर राज्य में चल रहे व्यापक विरोध प्रदर्शनों के बीच तमिलनाडु आये प्रधानमंत्री मोदी ने सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण और पूर्ववर्ती संप्रग सरकार द्वारा 126 एमएमआरसीए ( मध्यम आकार के बहुद्देशीय लड़ाकू विमान ) खरीदने के असफल प्रयासों का भी जिक्र किया। मोदी ने कहा , ‘‘ हमें लड़ाकू विमानों की खरीदी की लंबी प्रक्रिया भी याद है जो कभी किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंची। हमने ना सिर्फ अपनी महत्वपूर्ण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए ठोस कदम उठाए हैं बल्कि 110 नये लड़ाकू विमानों की खरीदी प्रक्रिया भी शुरू की है। ’’
सरकार ने 110 लड़ाकू विमानों की खरीदी प्रक्रिया शुरू करने के लिए पिछले ही सप्ताह आरएफआई ( सूचना अनुरोध ) या प्रारंभिक निविदा जारी की है। सरकार द्वारा करीब पांच साल पहले भारतीय वायुसेना के लिए 126 एमएमआरसीए की खरीदी प्रक्रिया रद्द किये जाने के बाद यह पहली बड़ी रक्षा खरीदी होगी। शांति और स्थिरता के लिए भारत के प्रयासों का हवाला देते हुए मोदी ने दूसरे विश्व युद्ध में भारतीय सैनिकों के बलिदान को याद किया और कहा कि देश ने हमेशा वैश्विक शांति , एकता और सौहार्द के लिए काम किया है। उन्होंने कहा , ‘‘ भारत का विश्वास हमेशा दिलों को जीतने में रहा है। ’’
सैन्य आधुनिकीकरण पर सरकार के ध्यान पर जोर देते हुए मोदी ने कहा कि सरकार ने ‘ रक्षा विशेषज्ञता में नवोन्मेष योजना ’ शुरू की है। इसके तहत रक्षा क्षेत्र के स्टार्ट - अप को जरूरी सहायता मुहैया कराने के लिए पूरे देश में ‘ रक्षा नवोन्मेष हब ’ की स्थापना की जाएगी। उन्होंने कहा , ‘‘ मई 2014 तक कुल 118 निर्यात अनुमति दी गयी थी जिसकी कुल कीमत 57.7 करोड़ डॉलर थी। चार साल से भी कम समय में हमने निर्यात की और 794 अनुमति दी है , जिसकी कुल कीमत 1.3 अरब डॉलर से भी ज्यादा है। ’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि मोदी ने कहा कि घरेलू रक्षा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए ‘‘ रक्षा खरीद प्रक्रिया ’’ में कई विशेष प्रावधान जोड़े गये हैं।