Saturday, December 21, 2024
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भारत और चीन के बीच कोर कमांडर स्तर के अधिकारियों की बैठक आज

भारत और चीन की सेना के बीच एलएसी पर कल बैठक होने जा रही है। यह मीटिंग कल सुबह 9:30 बजे कोर कमांडर स्तर के अधिकारियों के बीच शुरु होगी। भारत की तरफ चुशूल में यह बैठक होने वाली है। इस बैठक का एजेंडा चाइना स्टडी ग्रुप ने तैयार किया है।

Reported by: IndiaTV Hindi Desk
Updated : October 12, 2020 11:00 IST
Commander level meeting between India and China on Monday
Image Source : PTI Commander level meeting between India and China on Monday

नई दिल्ली: भारत और चीन की सेना के बीच एलएसी पर कल बैठक होने जा रही है। यह मीटिंग कल सुबह 9:30 बजे कोर कमांडर स्तर के अधिकारियों के बीच शुरु होगी। भारत की तरफ चुशूल में यह बैठक होने वाली है। इस बैठक का एजेंडा चाइना स्टडी ग्रुप ने तैयार किया है। सूत्रों ने इसकी जानकारी दी है। सूत्रों के मुताबिक चीन 7 प्वाइंट्स से भारत को पीछे हटने को कहेगा। ऐसे में सूत्र यह भी बता रहे है कि चीन की इस मांग को भारत कल खारिज कर देगा। 

इससे पहले हाल ही में अमेरिका, जापान, भारत और ऑस्ट्रेलिया पर आधारित ‘क्वाड’ देशों के विदेश मंत्री मंगलवार को तोक्यो में मिले थे। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने ‘‘खराब बर्ताव’’ और क्वाड समूह के देशों के सामने खतरे पैदा करने के लिए चीन को आड़े हाथों लेते हुए कहा था कि उसने भारत की उत्तरी सीमा पर 60,000 सैनिक तैनात किए हैं। कोरोना वायरस महामारी शुरू होने के बाद से व्यक्तिगत उपस्थिति वाली यह उनकी पहली वार्ता थी। 

यह बैठक हिंद-प्रशांत क्षेत्र, दक्षिण चीन सागर और पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन के आक्रामक सैन्य बर्ताव की पृष्ठभूमि में हुई थी। इस बैठक से लौटने के बाद पोम्पियो ने शुक्रवार को गाइ बेनसन शो पर कहा, ‘‘भारतीय देख रहे हैं कि उनकी उत्तरी सीमा पर 60,000 चीनी सैनिक तैनात हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान के अपने समकक्षों के साथ था, चार बड़े लोकतंत्रों, चार शक्तिशाली अर्थव्यवस्थाओं, चार राष्ट्रों के इस प्रारूप को क्वाड कहते हैं। इन सभी चारों देशों को चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की ओर से पेश खतरों से जुड़े वास्तविक जोखिम हैं।’’ 

पोम्पियो ने तोक्यो में विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात की थी। पोम्पियो ने कहा था, ‘‘वे जानते हैं कि उनके (क्वाड देशों के) लोग इस बात को समझते हैं कि हम इसे लंबे समय से नजरअंदाज करते आए हैं। पश्चिम ने दशकों तक चीन की कम्युनिस्ट पार्टी को अपने ऊपर हावी होने दिया। पूर्ववर्ती प्रशासन ने घुटने टेक दिए और चीन को हमारी बैद्धिक संपदा को चुराने तथा उसके साथ जुड़ी लाखों नौकरियों को कब्जा करने का मौका दिया। वे अपने देश में भी ऐसा होता देख रहे हैं।’’ 

एक अन्य साक्षात्कार में पोम्पियो ने कहा कि क्वाड देशों के विदेश मंत्रियों के साथ बैठकों में समझ और नीतियां विकसित होना शुरू हुई हैं जिनके जरिए ये देश उनके समक्ष चीन की कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा पेश खतरों का एकजुट होकर विरोध कर सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘इस लड़ाई में निश्चित ही उन्हें एक सहयोगी और साझेदार के रूप में अमेरिका की जरूरत है।’’ पोम्पियो ने कहा, ‘‘उन सभी ने यह देखा है, चाहे वे भारतीय हों जिनका भारत के उत्तरपूर्वी हिस्से में हिमालय में चीन से सीधे आमना सामना हो रहा है। उत्तर में चीन ने भारत के खिलाफ बड़ी संख्या में बलों को तैनात करना शुरू कर दिया है।’’ 

पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच मई माह की शुरुआत से ही गतिरोध बना हुआ है। दोनों ही पक्षों की ओर से विवाद को हल करने के लिए कई बार कूटनीतिक और सैन्य स्तर की वार्ताएं हो चुकी हैं लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकल सका है। पोम्पियो ने एक अन्य साक्षात्कार में फॉक्स न्यूज से कहा, ‘‘वुहान वायरस जब आया और ऑस्ट्रेलिया ने जब इसकी जांच की बात उठाई तो हम जानते है कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने उन्हें भी डराया-धमकाया।’’ उन्होंने कहा कि इनमें से हर देश चीन के ऐसे बर्ताव का सामना कर चुका है और इन देशों के लोग जानते हैं कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी उनके लिए खतरा हैं।

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