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केवल FIR दर्ज होने पर छात्र को कॉलेज से नहीं निकाल सकते, उसका पक्ष सुनना होगा: कोर्ट

बंबई हाईकोर्ट ने कंप्यूटर इंजीनियरिंग के एक छात्र के विरुद्ध उसके कॉलेज द्वारा जारी निष्कासन आदेश को यह कहते हुए खारिज कर दिया है कि महज किसी प्राथिमिकी को वेदवाक्य नहीं माना जा सकता है और यह निष्कासन का कारण नहीं हो सकता।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: October 14, 2017 17:28 IST
Bombay Highcourt- India TV Hindi
Bombay Highcourt

मुम्बई: कंप्यूटर इंजीनियरिंग के एक छात्र के विरुद्ध उसके कॉलेज द्वारा जारी निष्कासन आदेश को बंबई हाईकोर्ट ने यह कहते हुए खारिज कर दिया है कि महज किसी प्राथिमिकी को वेदवाक्य नहीं माना जा सकता है और यह निष्कासन का कारण नहीं हो सकता। जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस एस के शिंदे की खंडपीठ ने मुकेश पटेल स्कूल ऑफ टेक्नॉलोजी मैनेजमेंट एंड इंजीनियरिंग कॉलेज द्वारा पांच अगस्त को 21 वर्ष के एक छात्र के विरुद्ध जारी निष्कासन आदेश को खारिज कर दिया। यह कॉलेज नारसी मोंजी इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज से संबद्ध है। 

दरअसल जून में इस छात्र के विरुद्ध एक लड़की को शादी का झांसा देकर उससे कथित रुप से बलात्कार करने को लेकर प्राथिमिकी दर्ज की गयी थी। उसके बाद उसे कॉलेज ने निष्कासित किया। छात्र ने निष्कासन आदेश को अदालत में चुनौती दी और कहा कि उसे अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया। पीठ इस हफ्ते के प्रारंभ में संबंधित पक्षों की बातें सुनने के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंची कि संस्थान ने याचिकाकर्ता के खिलाफ दर्ज प्राथिमिकी को सही मानते हुए कार्रवाई कर दी और बिना सुनवाई के उसे निष्कासित कर दिया। 

अदालत ने कहा, 'दूसरे शब्दों में, याचिकाकर्ता को अपना पक्ष रखने का मौका दिये बगैर ही उसे दंडित कर दिया गया और उसे आगे के अध्ययन से वंचित कर दिया गया। इस प्रकार, संस्थान का आदेश नैसर्गिक न्याय के विरुद्ध है। हमारा यह भी मत है कि अपराध दर्ज होने को वेदवाक्य नहीं माना जा सकता है और वह याचिकाकर्ता को निष्कासित करने का आधार नहीं हो सकता। 

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