नई दिल्ली: आधी दुनिया के लिए जनवरी मुसीबत बन गई है। सर्दी के सितम के आगे हर कोई बेबस है। हिंदुस्तान में पहाड़ों पर माइनस में तापमान जा चुका तो मैदानी इलाक़े सर्दी से ठिठुर रहे हैं। दिल्ली में आज फिर न्यूनतम पारा 4 डिग्री है लेकिन उत्तर प्रदेश, बिहार और हरियाणा के शहर शिमला और मसूरी से भी ज़्यादा सर्द हैं। पहाड़ों से गिरता झरना जम गया और सड़कें बर्फ की बन गई हैं।
हिमाचल प्रदेश का केलॉन्ग में माइनस 10 डिग्री की मार से सब कुछ फ्रीज़ होने लगा है। पानी बर्फ बन रहा है औऱ जिंदगी जमती जा रही है। हिमाचल जैसा हाहाकार कश्मीर में भी है। श्रीनगर की डल झील तो जम ही चुकी है, आम तौर पर बहने वाले नदी-नाले भी बर्फ बन चुके हैं। जम्मू कश्मीर में माइनस डिग्री का टॉर्चर मुसीबत बन गया है लोगों के लिए। लेह में पारा माइनस 17 डिग्री के क़रीब है तो कुपवाड़ा में तापमान माइनस 5.6, पहलगाम में माइनस 7.6 और श्रीनगर में माइनस 6.2 रिकॉर्ड हुआ है।
बर्फिस्तान बन चुके पहाड़ों का साइड इफेक्ट मैदानी इलाक़ों में कुछ ऐसे दिख रहा है कि सर्दी सज़ा बन चुकी है। पहाड़ जमे हैं तो मैदान कांप रहे हैं। हर कोई कोल्ड और कोहरे के आगे त्राहिमाम कर रहा है। दिल्ली, यूपी, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान तक हालात एक जैसी ही है। दिल्ली में पारा 4 डिग्री तक गोता लगा चुका है। यहां कोहरे से तो राहत मिली है लेकिन सुबह और रात के वक़्त सर्दी शरीर में सिरहन पैदा कर रही है।
ठंड का सबसे प्रचंड प्रहार हुआ है उत्तर प्रदेश पर जहां सर्दी अब तक 80 से ज़्यादा लोगों की जान ले चुकी है। शहर-शहर ठंड से कोहराम मचा हुआ है। शीतलहर ने लोगों को कांपने पर मजबूर कर दिया है। ऐसे में अलाव के सहारे दिन और रात काटना लोगों की मजबूरी बन चुका है या फिर लोग घरों में क़ैद हैं। यूपी के तो कुछ शहर शिमला से भी ज़्यादा सर्द हैं। शिमला में पारा 5 डिग्री के आस पास बना हुआ है तो आगरा ने 4 डिग्री का टॉर्चर झेला है। फुरसतगंज में टेम्प्रेचर 4 डिग्री रहा तो मेरठ में पारा 3 डिग्री से भी नीचे चला गया। मुज़फ्फरनगर में भी तापमान 3 डिग्री और सुल्तानपुर में 4.6 रहा।
हरियाणा में भी सर्दी से हाहाकार है और उसके कुछ शहर मसूरी से ज़्यादा कांप रहे हैं क्योंकि मसूरी में पारा 4 डिग्री के क़रीब है तो अंबाला में पारा 2.3, हिसार में 2.5, करनाल में 2.6 और रोहतक में 3.7 तक गोता लगा चुका है। वहीं राजस्थान के माउंट आबू में भी पारा 2 डिग्री रिकॉर्ड हुआ। यानी पहाड़ी इलाक़ों से ज्यादा ठंड अब मैदानी इलाको मे पड़ रही है और इसमे अभी जल्द राहत की उम्मीद नहीं है।