नयी दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को पूर्व कोयला सचिव एच सी गुप्ता को पश्चिम बंगाल की कोयला खदान आवंटन से जुड़े कोयला घोटाला के एक मामले में भ्रष्टाचार और आपराधिक साजिश रचने का दोषी ठहराया। विशेष सीबीआई न्यायाधीश भरत पाराशर ने गुप्ता के अलावा निजी कंपनी विकास मेटल्स एंड पावर लिमिटेड(वीएमपीएल), कोयला मंत्रालय में संयुक्त सचिव के पद पर रहे और अभी भी सेवारत केएस क्रोफा और कोयला मंत्रालय में तत्कालीन निदेशक (सीए-1) के सी सामरिया को मामले में दोषी ठहराया।
अदालत ने कंपनी के प्रबंध निदेशक विकास पटानी और उसके अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता आनंद मलिक को भी मामले में दोषी ठहराया। यह मामला पश्चिम बंगाल में मोइरा और मधुजोर (उत्तर और दक्षिण) कोयला खदानों को वीएमपीएल को देने में कथित अनियमितताओं से संबंधित है। सीबीआई ने सितंबर 2012 में इस मामले में एक प्राथमिकी दर्ज की थी। फैसले को सुनाए जाने के बाद सभी पांचों दोषियों को हिरासत में ले लिया गया। इनकी सजा की अवधि पर बहस तीन दिसंबर को होगी। दोषियों को अधिकतम सात साल के कारावास की सजा हो सकती है।
अदालत ने 19 अगस्त, 2016 को गुप्ता के खिलाफ धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश रचने के आरोप सहित दो नौकरशाहों, कंपनी और उसके दो अधिकारियों पर भी आरोप तय कर दिये थे। इन सभी लोगों ने खुद का बचाव करते हुये दोषी नहीं माना और मुकदमे का सामना करने की बात कही। सभी आरोपी जमानत पर बाहर चल रहे थे।
यह कहा गया, "भारतीय दंड संहिता की धाराओं 120-बी (आपराधिक षड्यंत्र), 409 (लोक सेवकों द्वारा आपराधिक विश्वासघात), 420 (धोखाधड़ी) के तहत आरोप लगाए गये हैं और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (पीसी एक्ट) की धारा 13 (1) (सी) और 13 (1) (डी) (लोकसेवकों द्वारा आपराधिक दुर्व्यवहार) के तहत सभी आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किये गये हैं...।"
इस मामले में सभी आरोपियों पर मुकदमा चलाया गया। हालांकि सीबीआई ने पहले इस मामले को बंद करने की रिपोर्ट दी थी जिसे अदालत ने खारिज करते हुये, जांच एजेंसी को मामले की और जांच करने के लिए कहा था। गुप्ता को पहले भी दो अन्य कोयला घोटाले, कमल स्पंज स्टील एंड पावर लिमिटेड (केएसएसपीएल) और विनी आयरन एंड स्टील उद्योग लिमिटेड (वीआईएसयूएल) से संबंधित मामलों में दोषी पाया गया था। केएसएसपीएल मामले में क्रोफा और सामरिया को भी दोषी ठहराया गया था।
गुप्ता के खिलाफ लगभग आठ अलग-अलग आरोप पत्र दायर किए गए हैं और प्रत्येक मामले में अलग-अलग कार्रवाई चल रही है। 25 जुलाई, 2014 को, उच्चतम न्यायालय ने कोयला घोटालों के सभी मामलों की सुनवाई के लिए अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पाराशर की विशेष न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति को मंजूरी दे दी थी।