पंजाब। पंजाब कांग्रेस में जारी अंतर कला के बीच शुक्रवार को हुई पंजाब कैबिनेट की बैठक में पंजाब के 2 विधायकों और एक कैबिनेट मंत्री के बेटों को सरकारी नौकरियां एक प्रस्ताव लाकर दे दी गई और इसी को लेकर सियासी बवाल मच गया। जानकारी के मुताबिक, पंजाब के कैबिनेट मंत्री गुरप्रीत कांगड़ के दामाद को एक्साइज विभाग में इंस्पेक्टर नियुक्त कर दिया गया। सीनियर कांग्रेस विधायक राकेश पांडे के बेटे को नायब तहसीलदार के पद पर नियुक्ति दे दी गई जबकि प्रताप सिंह बाजवा के भाई और कांग्रेस विधायक फतेह जंग बाजवा के बेटे को पंजाब पुलिस में इंस्पेक्टर नियुक्त कर दिया गया।
इन तीनों ही नौकरियों को देते हुए पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने दलील दी कि इन परिवारों ने पंजाब के लिए कुर्बानी दी है और आतंकवाद के दौर में इन परिवारों ने अपने लोगों को खोया है और ये लोग राजनेता भी थे इसी वजह से पंजाब सरकार की पॉलिसी के हिसाब से कम्पनशेसन के नियमों के हिसाब से ये लोग नौकरी पाने के हकदार हैं और उसी के एवज में इनको ये नौकरियां दी गई है।
सांसद प्रताप सिंह बाजवा के भतीजे और विधायक फतेहजंग बाजवा के बेटे अर्जुन प्रताप सिंह बाजवा को पंजाब पुलिस में इंस्पेक्टर (ग्रेड-2) और विधायक राकेश पांडे के बेटे भीष्म पांडे को राजस्व विभाग में नायब तहसीलदार नियुक्त किया गया। इस प्रस्ताव को विपक्षी दलों के कड़े विरोध के बावजूद मंत्रिमंडल ने सिर्फ तीन मिनट में पारित कर दिया। आधिकारिक बयान के मुताबिक, एक विशेष मामले में, मंत्रिमंडल की बैठक में अर्जुन प्रताप सिंह बाजवा को पंजाब पुलिस में निरीक्षक (ग्रुप बी) और भीष्म पांडेय को राजस्व विभाग में नायब तहसीलदार (ग्रुप बी) के पद पर नियुक्त करने का निर्णय लिया गया। अर्जुन, फतेहजंग सिंह बाजवा के बेटे हैं, जबकि भीष्म, राकेश पांडेय के बेटे है।
सरकार ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद जारी किए गए बयान में कहा कि आवेदनकर्ता अर्जुन बाजवा, पंजाब के पूर्व मंत्री सतनाम सिंह बाजवा के पोते हैं, जिन्होंने 1987 में राज्य में शांति के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे। मंत्रिमंडल ने एक अन्य मामले में, राजस्व विभाग में नायब तहसीलदार के रूप में भीष्म पांडेय की नियुक्ति को मंजूरी दी, जो जोगिंदर पाल पांडेय के पोते हैं, जिनकी 1987 में आतंकवादियों ने हत्या कर दी थी। हालांकि कैबिनेट में इस बात को लेकर विरोध भी हुआ।
नियुक्ति को लेकर भाजपा, अकाली दल और आप ने खड़े किए सवाल
वहीं इस पूरे मामले को लेकर जब अकाली दल और आम आदमी पार्टी ने सवाल खड़े किए तो खुद पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह बचाव में सामने आए और उन्होंने कहा कि जिन परिवारों ने आतंकवाद के दौर में पंजाब और देश के लिए अपनी जानें दे दी हैं। वो परिवार पंजाब सरकार के नियमों के मुताबिक ही ये नौकरियां पाने के हकदार हैं। कैप्टन ने कैबिनेट के इस फैसले का विरोध कर रहे विपक्षियों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उन्होंने अकाली दल और आम आदमी पार्टी के भी ऐसे नेताओं को ढूंढा जिनके पूर्वज इस तरह से शहीद हुए हो और उनके परिवारों को नौकरी दी जा सके लेकिन उन्हें कोई भी ऐसा राजनीतिक परिवार इन पार्टियों में नहीं मिला।
इस पूरे मामले को लेकर अकाली दल ने तीखे तेवर अपना रखे हैं। अकाली दल के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया ने राज्यपाल और राष्ट्रपति से इस पूरे मामले में दखल देने की मांग की और कहा कि ये सरकारी लूट हो रही है और कैप्टन अमरिंदर सिंह नाराज विधायकों को खुश करने और अपनी कुर्सी बचाने के लिए इस तरह से नौकरियां बांट रहे हैं और जो नौकरियां पंजाब के युवाओं को मिलनी चाहिए थी वो विधायकों के बेटों को नियमों को ताक पर रखकर दी जा रही हैं।
इस पूरे मामले को लेकर भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुघ ने कहा कि अगर सरकारी नौकरियां देनी थी तो उन 35000 परिवारों के बच्चों को दी जाती जिनके अपनों ने आतंकवाद के दौर में अपनी जाने दी हैं। लेकिन सिर्फ चुनिंदा कांग्रेस नेताओं के परिवारों को ही ये मोटी सरकारी नौकरियां दी जा रही हैं। जहां एक और कैप्टन अमरिंदर सिंह पार्टी के अंतर्कलह को झेल रहे हैं उसी दौरान चुनिंदा राजनीतिक परिवारों को दी गई इन सरकारी नौकरियों को लेकर कई सवाल भी खड़े होने लाजिमी हैं।