नयी दिल्ली: जलवायु परिवर्तन का एशिया एवं प्रशांत क्षेत्र के देशों पर भयावह प्रभाव पड़ने जा रहा है और दक्षिण भारत में 2030 के दशक में धान की पैदावार पांच फीसदी की कमी आ सकती है। एक नयी रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। एशियाई विकास बैंक और पोट्सडैम् इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट इम्पैक्ट रिसर्च की रिपोर्ट में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन का इन देशों की भविष्य की प्रगति पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है और जीवन की गुणवत्ता में गिरावट भी आ सकती है। ये भी पढ़ें: भारत और चीन में बढ़ी तल्खियां, जानिए किसके पास है कितनी ताकत
रिपोर्ट के अनुसार एशिया में बाढ़, तूफान का सबसे ज्यादा सामना एशियाई देश कर रहे हैं और इनमें चीन, भारत, बांग्लादेश और इंडोनेशिया की स्थिति ज्यादा खराब है। इसमें कहा गया है कि बांग्लादेश, भारत और पाकिस्तान के निचले तटीय क्षेत्रों में 13 करोड़ लोग विस्थापित होने के खतरे का सामना कर रहे हैं।
जलवायु परिवर्तन से बदलता भारत
जलवायु परिवर्तन की मार भारत पर दिखने लगी है। बारिश के स्वभाव में आए बदलाव की वजह से हिमालयी राज्यों में कई नदियां रास्ता बदल चुकी हैं। वैज्ञानिक भी मान रहे हैं कि मौसम अजीब ढंग से व्यवहार करने लगा है। बीते कुछ दशकों में अरुणाचल प्रदेश और असम के कई गांव बह चुके हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक जलवायु परिवर्तन की वजह से कई नदियों ने अपना रास्ता बदल दिया है। विशेषज्ञों के मुताबिक अब बारिश बहुत ज्यादा और लंबे समय तक हो रही है।
नई दिल्ली स्थित सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरन्मेंट (सीएसई) के मुताबिक नदियों के रास्ता बदलने की वजह से हजारों लोगों को विस्थापित होना पड़ा है। साथ ही जमीन की उर्वरता और जैव विविधता को भी भारी नुकसान हुआ है।
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