नई दिल्ली: रविवार को उत्तर प्रदेश और बिहार के कई शहर सांप्रदायिक हिंसा की आग में सुलग उठे। खासकर सबसे ज़्यादा हिंसा यूपी के शहरों में हुई। कानपुर से लेकर बलिया तक और बलिया से कुशीनगर तक बवाल हुआ। हिंसा उस दौरान हुई जब अलग-अलग शहरों में ताजिया का जुलूस निकाला जा रहा था। हालात कानपुर में सबसे ख़राब रहे जहां ताजिए जुलूस पर पत्थरबाज़ी की घटना के बाद माहौल बिगड़ गया। कई गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया गया हालांकि अब हालात क़ाबू में हैं। इसके अलावा बलिया और कुशीनगर में ताजिया जुलूस के दौरान हिंसा हुई। ये भी पढ़ें: गुरु को दिए तीन वचनों को तोड़ा और बर्बाद हुआ राम रहीम, जानें संत की तीन सौगंध का रहस्य
इस आग में बिहार का आरा भी जला। यहां भी ताजिए जुलूस निकाले जाने के दौरान दो समुदायों में झड़प हो गई। ऐसे में सवाल है कि क्या शहरों को सुलगाने की साज़िश रची गई। हालात कानपुर में सबसे ख़राब रहे। पुलिस के मुताबिक़ जूही परमपुरवा इलाका संवेदनशील होने की वजह से ताजिया जुलूस को डायवर्ट करने का आदेश था लेकिन जुलूस में शामिल कुछ लोगों ने बात नहीं मानी और जुलूस लेकर प्रतिबंधित इलाक़े में चले गए। आरोप है कि इसी दौरान दूसरे समुदाय के लोगों ने पत्थरबाज़ी कर दी जिससे देखते ही देखते हिंसा भड़क उठी। हालात काबू करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज भी करना पड़ा। भारी सुरक्षा बल सड़कों पर उतारा गया फिर जाकर रात होते होते स्थिति नियंत्रण में आ सकी।
वहीं बलिया के सिकंदरपुर इलाक़े में भी मोहर्रम पर ताजिया जुलूस के दौरान दो सुमदायों के बीच हिंसा हुई। विवाद शुरू हुआ था दो बच्चों की लड़ाई से लेकिन देखते ही देखते मामले ने सांप्रदायिक रंग ले लिया। इसके बाद तो दोनों समुदायों के बीच जमकर पत्थर चले। कई दुकानों को आग के हवाले कर दिया गया। हालात क़ाबू करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे, लाठीचार्ज किया और स्थिति को देखते हुए इलाके में कर्फ्यू लगाना पड़ा।
इतना बवाल तब हुआ जब पुलिस को पहले से किसी तनाव की आशंका के मद्देनज़र अलर्ट कर दिया गया था। दुर्गा पूजा और मुहर्रम साथ होने की वजह से संवेदनशील इलाक़ों में चौकन्ना रहने को कहा गया था। बावजूद इसके यूपी से बिहार के कई इलाक़े जल उठे।