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RTI को इतना कमजोर कर दिया गया कि इसके दायरे में किसी के आने का क्या मतलब: कांग्रेस

प्रधान न्यायाधीश के कार्यालय के सूचना के अधिकार के दायरे में आने से जुड़े उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद कांग्रेस ने बुधवार को नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा और दावा किया कि मौजूदा सरकार में आरटीआई कानून को इतना कमजोर कर दिया गया है कि इसके दायरे में किसी के आने-जाने का कोई मतलब नहीं रह गया है।

Reported by: PTI
Published on: November 13, 2019 21:42 IST
jairam ramesh- India TV Hindi
jairam ramesh

नई दिल्ली: प्रधान न्यायाधीश के कार्यालय के सूचना के अधिकार के दायरे में आने से जुड़े उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद कांग्रेस ने बुधवार को नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा और दावा किया कि मौजूदा सरकार में आरटीआई कानून को इतना कमजोर कर दिया गया है कि इसके दायरे में किसी के आने-जाने का कोई मतलब नहीं रह गया है।

पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘सवाल ये नहीं है कि कौन आरटीआई के अंतर्गत आएगा, कौन नहीं आएगा? इस सरकार ने आरटीआई को इतना कमजोर कर दिया है कि इसके दायरे में कोई आए या न आए, कोई फर्क नहीं पड़ता।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आरटीआई में जो संशोधन किए गए हैं, उनके खिलाफ संसद के अंदर और संसद के बाहर कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस अध्यक्ष ने अपनी आवाज उठाई है।’’

पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘जहां तक राजनीतिक दलों को आरटीआई के दायरे में लाए जाने का प्रश्न है तो इस पर एक लंबी मंत्रणा चल रही है। हमने पहले भी इस मंच से सरकार को कहा है कि वह अपनी राय सार्वजनिक तौर से जनता के समक्ष रखें, ताकि अलग-अलग राजनीतिक दल उस पर टिप्पणी कर सकें। मोदी जी इससे गुरेज क्यों कर रहे हैं?’’

उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि प्रधान न्यायाधीश का कार्यालय सार्वजनिक प्राधिकरण है और वह सूचना के अधिकार कानून के दायरे में आता है। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने दिल्ली उच्च न्यायालय के 2010 के निर्णय को सही ठहराते हुये इसके खिलाफ उच्चतम न्यायालय के सेक्रेटरी जनरल और शीर्ष अदालत के केन्द्रीय सार्वजनिक सूचना अधिकारी की अपील खारिज कर दी।

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