Saturday, November 02, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. भारत
  3. राष्ट्रीय
  4. CJI रंजन गोगोई ने कहा, संविधान की सीख नहीं मानी तो अव्यवस्था में पहुंच जाएंगे

CJI रंजन गोगोई ने कहा, संविधान की सीख नहीं मानी तो अव्यवस्था में पहुंच जाएंगे

संविधान दिवस 26 नवम्बर को मनाया जाता है। 26 नवम्बर 1949 को संविधान सभा ने भारत के संविधान को मंजूर किया था और वह 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ था।

Reported by: Bhasha
Published on: November 27, 2018 7:23 IST
CJI रंजन गोगोई ने कहा, संविधान की सीख नहीं मानी तो अव्यवस्था में पहुंच जाएंगे - India TV Hindi
CJI रंजन गोगोई ने कहा, संविधान की सीख नहीं मानी तो अव्यवस्था में पहुंच जाएंगे 

नयी दिल्ली: भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) रंजन गोगोई ने सोमवार को कहा कि संविधान के सुझावों पर ध्यान देना ‘हमारे सर्वश्रेष्ठ हित’ में है और ऐसा नहीं करने से अराजकता तेजी से बढ़ेगी। प्रधान न्यायाधीश ने यहां संविधान दिवस के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम के उद्घाटन भाषण में यह बात कहीं। कार्यक्रम में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि संविधान स्वतंत्र भारत का आधुनिक ग्रंथ है। संविधान नागरिकों को सशक्त करता है, वहीं नागरिक भी संविधान का पालन कर उसे मजबूत बनाते हैं।

उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी संविधान दिवस की बधाई देते हुए कहा कि संविधान की मूल भावनाओं और प्रावधानों को निजी और सार्वजनिक जीवन में लागू किया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी ने ट्विटर पर लिखा, ‘‘हमें अपने संविधान पर गर्व है और इसमें उल्लेखित मूल्यों को बरकरार रखने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हैं।’’

संविधान दिवस 26 नवम्बर को मनाया जाता है। 26 नवम्बर 1949 को संविधान सभा ने भारत के संविधान को मंजूर किया था और वह 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ था। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस मौके पर बिना किसी का नाम लिये कहा कि संविधान को ‘मिटाने का षड्यंत्र करने वालों’ को उनकी पार्टी कभी सफल नहीं होने देगी।

गांधी ने ट्वीट कर कहा, ‘‘ भारत का संविधान हमारे संघर्ष और अस्तित्व दोनों की पहचान है। यह हमारा दर्शन है। हमारा अभिमान है। हमारी रग-रग में इसका रंग है।’’ अपने संबोधन में न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा कि संविधान हाशिए पर पड़े लोगों के साथ ही बहुमत के विवेक की भी आवाज है और यह अनिश्चितता तथा संकट के वक्त में सतत् मार्गदर्शक की भूमिका निभाता है। 

उन्होंने कहा, ‘‘संविधान की बातों पर धयान देना हमारे सर्वश्रेष्ठ हित में है और अगर हम ऐसा नहीं करेंगे तो हमारा अभिमान तेजी से अव्यवस्था में तब्दील हो जाएगा।’’ उन्होंने कहा,‘‘संविधान भारत की जनता के जीवन का अभिन्न अंग बन गया है। यह कोई अतिश्योक्ति नहीं है, अदालतें रोजाना जिस प्रकार के भिन्न मुद्दों पर सुनवाई करतीं है उसे लोगों को देखना चाहिए।’’ 

राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि संविधान ने न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका के बीच शक्तियों का बंटवारा किया है। इन तीनों को संविधान को कायम रखने की जिम्मेदारियां दी हैं ताकि वे इसकी (संविधान की) आशाओं एवं उम्मीदों को साकार कर सकें। उन्होंने कहा कि संविधान का संरक्षण करना और उसे मजबूत करना भारत के लोगों की साझेदारी के साथ इन तीनों संस्थाओं का साझा कर्तव्य है।

उन्होंने कहा कि संविधान को अंगीकार करना भारत की लोकतांत्रिक यात्रा में एक मील का पत्थर है। उन्होंने कहा कि संविधान में शायद सबसे ज्यादा मर्मस्पर्शी शब्द ‘‘न्याय’’ है। उपराष्ट्रपति नायडू ने कहा कि लोगों को संवैधानिक संस्थाओं और प्रक्रियाओं में आस्था रखनी चाहिए। उपराष्ट्रपति सचिवालय ने ट्वीट किया,‘‘हमें अपने निजी और सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी को बनाये रखना चाहिए और संवैधानिक संस्थाओं और प्रक्रियाओं में आस्था रखनी चाहिए।

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement