Wednesday, November 06, 2024
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चीफ जस्टिस ही सुप्रीम कोर्ट के मुखिया, दो जजों की बेंच के आदेश को पलटा

सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की एक संविधान पीठ ने न्यायाधीशों के नाम पर कथित तौर पर रिश्वत लिये जाने के मामले में बड़ी पीठ गठित करने के दो न्यायाधीशों की पीठ के एक आदेश को आज पलट दिया।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: November 10, 2017 22:12 IST
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नयी दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की एक संविधान पीठ ने न्यायाधीशों के नाम पर कथित तौर पर रिश्वत लिये जाने के मामले में बड़ी पीठ गठित करने के दो न्यायाधीशों की पीठ के एक आदेश को आज पलट दिया। पीठ ने कहा कि प्रधान न्यायाधीश ‘अदालत के मुखिया’ हैं और मामलों को आवंटित करने का एकमात्र विशेषाधिकार उनके पास है। 

प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि न तो दो न्यायाधीशों और न ही तीन न्यायाधीशों की कोई पीठ सीजेआई को विशेष पीठ गठित करने का निर्देश दे सकती है। पीठ में न्यायमूर्ति आर के अग्रवाल, न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा और न्यायमूर्ति अमिताभ रॉय भी शामिल थे। संविधान पीठ ने न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की पीठ के कल के आदेश को निरस्त कर दिया जिसमें उन्होंने मामले पर सुनवाई करने के लिये शीर्ष अदालत के पांच सर्वाधिक वरिष्ठ न्यायाधीशों की संविधान पीठ गठित करने का निर्देश दिया था। 

बड़ी पीठ ने दो न्यायाधीशों की पीठ के आदेश पर कड़ी आपत्ति जताई और कहा कि कोई भी पीठ तब तक किसी मामले पर सुनवाई नहीं कर सकती है जब तक कि प्रधान न्यायाधीश जो ‘अदालत के मुखिया’ हैं , उन्होंने उसे मामला आवंटित नहीं किया हो। प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि सीजेआई द्वारा मामले का आवंटन कानून का सिद्धांत, न्यायिक अनुशासन और अदालत का शिष्टाचार है। 

सीजेआई ने मीडिया के मामले की रिपोर्टिंग करने पर रोक लगाने से इंकार कर दिया। उन्होंने कहा, ‘‘मैं वाक्, अभिव्यक्ति और प्रेस की स्वतंत्रता में विश्वास करता हूं।’’ सीजेआई ने अधिवक्ता प्रशांत भूषण और कामिनी जायसवाल से कहा कि उन्होंने मामले में उनके :न्यायमूर्ति मिश्रा: खिलाफ ‘निराधार आरोप’ लगाए हैं। सीबीआई ने इस सिलसिले में भ्रष्टाचार का एक मामला दर्ज किया है। भूषण एनजीओ ‘कैंपेन फॉर जूडिशियल एकाउन्टैबिलिटी’ की तरफ से उपस्थित हुए थे। 

पीठ ने यह भी साफ कर दिया कि मामले को दो सप्ताह बाद सुनवाई के लिये उचित पीठ के समक्ष भेजा जाएगा। भूषण इसके बाद खचाखच भरी अदालत से यह कहते हुए निकल गए कि उन्हें इस मामले में बोलने की अनुमति नहीं जा रही है। इससे पहले दिन में मामला न्यायमूर्ति ए के सीकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था। उसने इसे न्यायमूर्ति चेलमेश्वर की अध्यक्षता वाली पीठ के कल के आदेश के अनुसार पांच न्यायाधीशों वाली संविधान पीठ के पास भेज दिया। 

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