नई दिल्ली: प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग नोटिस खारिज करने के राज्यसभा के सभापति के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका कांग्रेस के सांसदों ने आज सुप्रीम कोर्ट में वापस ले ली।
गौरतलब है कि राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने कांग्रेस और कुछ विपक्षी दलों द्वारा प्रधान न्यायाधीश को पद से हटाने के लिये राज्यसभा सदस्यों की नोटिस यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि न्यायमूर्ति मिश्रा के खिलाफ किसी प्रकार के कदाचार की पुष्टि नहीं हुई है। ऐसा पहली बार हुआ था जब मौजूदा प्रधान न्यायाधीश को पद से हटाने के लिए नोटिस दिया गया हो।
न्यायमूर्ति ए. के. सिकरी की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 45 मिनट की सुनवाई के बाद याचिका वापस लेने की अनुमति देते हुए इसे खारिज कर दिया। याचिका पर सुनवाई शुरू होते ही वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पांच न्यायाधीशों वाली संविधान पीठ के गठन पर सवाल उठाए तो अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने कहा कि कांग्रेस के सिर्फ दो सांसदों ने शीर्ष अदालत में याचिका दायर की है।
वेणुगोपाल ने कहा कि महाभियोग नोटिस देने वाले अन्य छह दलों ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर नहीं की है। उन्होंने कहा, ‘अनुमान यह लगाया जा रहा है कि नायडू द्वारा महाभियोग नोटिस खारिज किये जाने को चुनौती देने के कांग्रेस के कदम का अन्य लोगों ने समर्थन नहीं किया।’
इससे पहले सिब्बल ने सवाल किया था कि मामले की सुनवाई के लिए पांच न्यायाधीशों की पीठ गठित करने का आदेश किसने दिया। सिब्बल ने कहा कि, मामला प्रशासनिक आदेश के जरिए पांच न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया , प्रधान न्यायाधीश इस संबंध में आदेश नहीं दे सकते हैं। उन्होंने उच्चतम न्यायालय से कहा कि उन्हें पीठ के गठन संबंधी आदेश की प्रति चाहिए, संभवत: वह इसे चुनौती देने पर विचार कर सकते हैं। हालांकि पीठ ने कहा कि यह बहुत ‘‘विचित्र और अभूतपूर्व हालात हैं जहां प्रधान न्यायाधीश पक्षकार हैं और अन्य चार न्यायाधीशों की भी कुछ भूमिका हो सकती है।’’
पीठ में न्यायमूर्ति सिकरी के अलावा संविधान पीठ में न्यायमूर्ति एस. ए. बोबड़े, न्यायमूर्ति एन. वी. रमण, न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा और न्यायमूर्ति ए. के. गोयल भी शामिल हैं।