नयी दिल्ली: प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने केन्द्रीय जांच ब्यूरो के अंतरिम निदेशक के रूप में एम नागेश्वर राव की नियुक्ति के खिलाफ दायर याचिका की सुनवाई से सोमवार को खुद को अलग कर लिया। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि वह जांच ब्यूरो के नये निदेशक का चयन करने वाली उच्च स्तरीय समिति की 24 जनवरी को हो रही बैठक में हिस्सा लेंगे, इसलिए इस मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति केन्द्रीय जांच ब्यूरो के नये निदेशक का चयन करेगी। इस समिति के अन्य सदस्यों में प्रधान न्यायाधीश या उनके द्वारा नामित शीर्ष अदालत के न्यायाधीश और सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता शामिल हैं। उच्च स्तरीय चयन समिति की 24 जनवरी को बैठक होने की संभावना है। शीर्ष अदालत ने सीवीसी और कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के आदेशों को निरस्त कर आठ जनवरी को आलोक वर्मा को जांच ब्यूरो के निदेशक पद पर बहाल करते हुये उनके अधिकारों को सीमित कर दिया था।
हालांकि, न्यायालय ने कहा था कि जांच ब्यूरो के निदेशक का चयन करने वाली समिति एक सप्ताह के भीतर इस प्रकरण पर जांच करे क्योंकि सीवीसी वर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच कर रही है। इस निर्णय के बाद ही उच्च स्तरीय समिति ने दो दिन की बैठक के दौरान आलोक कुमार वर्मा को जांच ब्यूरो के निदेशक पद से हटाने का निर्णय किया और 10 जनवरी को उन्हें हटाने के बाद से जांच ब्यूरो के निदेशक का पद रिक्त है। सरकार ने अंतरिम व्यवस्था के रूप में एम नागेश्वर राव को अंतरिम निदेशक नियुक्त कर रखा है।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ के समक्ष जांच ब्यूरो के अंतरिम निदेशक के रूप में नागेश्वर राव की नियुक्ति के खिलाफ गैर सरकारी संगठन ‘कामन काज’ की जनहित याचिका सूचीबद्ध थी। इसी दौरान प्रधान न्यायाधीश ने इस याचिका की सुनवाई से हटने के निर्णय की जानकारी देते हुये कहा कि यह प्रकरण किसी अन्य उचित पीठ के समक्ष सूचीबद्ध होगा। भ्रष्टाचार और अपने कर्तव्यों के निर्वहन के प्रति लापरवाही के आरोपों में जांच ब्यूरो के निदेशक आलोक कुमार वर्मा को पद से हटाने के उच्चस्तरीय समिति के निर्णय के बाद भारतीय पुलिस सेवा के वरिष्ठ अधिकारी नागेश्वर राव को जांच ब्यूरो के नये निदेशक की नियुक्ति होने तक की अवधि के लिये दस जनवरी को अंतरिम निदेशक नियुक्त किया गया था।
याचिका में जांच ब्यूरो के निदेशक की नियुक्ति की प्रक्रिया में पूरी पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिये स्पष्ट व्यवस्था करने का अनुरोध किया गया है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि नागेश्वर राव की नियुक्ति उच्च स्तरीय समिति की सिफारिश के आधार पर नहीं की गयी है।याचिका में कहा गया है कि इससे पहले पिछले साल 23 अक्टूबर को नागेश्वर राव की जांच ब्यूरो के अंतरिम निदेशक के रूप में नियुक्ति को शीर्ष अदालत ने आठ जनवरी के फैसले में निरस्त कर दिया था।