नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, पंजाब के सीएम अमरिंदर सिंह समेत पांच राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने अपने सूबों में नागरिकता संशोधन कानून लागू करने से इंकार किया है। हालांकि कानून के जानकारों का मानना है कि राज्य इस मसले को लेकर ज्यादा कुछ नहीं कर सकते। दरअसल सरकारी सूत्रों के अनुसार, नागरिकता का मुद्दा संविधान की 7 वीं अनुसूची द्वारा संघ सूची में आता है। ऐसा संशोधन सभी राज्यों पर लागू होता है।.
ममता बोलीं- भाजपा नहीं कर सकती बाध्य भाषा
भाजपा नीत केंद्र सरकार द्वारा नागरिकता कानून में संशोधन किए जाने की आलोचना करते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार को कहा कि ‘‘वह किसी भी सूरत’’ में इसे अपने राज्य में लागू नहीं करने देंगी। सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ने यहां सवांददाता सम्मेलन में कहा कि भगवा पार्टी कानून को लागू करने के लिए राज्यों को बाध्य नहीं कर सकती।
ममता ने कहा, ‘‘हम कभी भी राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) और नागरिकता कानून को बंगाल में अनुमति नहीं देंगे। हम नागरिकता कानून में संशोधन को लागू नहीं करेंगे, भले ही इसे संसद ने पारित किया है। भाजपा राज्यों को इसे लागू करने के लिए बाध्य नहीं कर सकती।’’
जो कांग्रेस का रुख होगा वही मप्र सरकार का होगा- कमलनाथ भाषा
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शुक्रवार को कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम पर जो रुख कांग्रेस का होगा वही रुख उनकी सरकार का होगा। उन्होंने कहा, ''कोई भी ऐसा कानून जो समाज को बांटता है। उस पर कांग्रेस का जो रुख होगा वही रुख मध्यप्रदेश सरकार अपनाएगी।"
कमलनाथ ने यह भी कहा कि अर्थव्यवस्था की स्थिति से ध्यान भटकाने के लिए नागरिकता संशोधन सरीखे विधेयक लाए जा रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि देश का विमर्श स्वतः नहीं बदल रहा है, बल्कि इसे सुनियोजित ढंग से बदला जा रहा है। मध्यप्रदेश प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत का तानाबाना ही सहिष्णुता और अनेकता में एकता है तथा इसी आधार पर देश आगे बढ़ सकता है।