नई दिल्ली। गृह मंत्री अमित शाह ने आज लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पेश कर दिया है। बिल पेश करते हुए अमित शाह ने कहा कि यह बिल 0.001 प्रतिशत अल्पसंख्यकों के भी खिलाफ नहीं है। बिल के पेश होते ही सदन में विपक्षी पार्टियों ने शोर शराबा शुरू कर दिया। बिल के पेश होने पर कांग्रेस के लोकसभा में नेता अधीर रंजन चौधरी ने आरोप लगाया कि इस बिल के साथ सरकार मुसलमानों को टारगेट कर रही है। गौरतलब है कि इस संशोधन में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न के शिकार गैर मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है। अब सदन में इस पर चर्चा होगी और इसे पारित कराया जाएगा। नागरिकता संशोधन बिल पर बीजेपी से किरण रिजिजू,एस एस अहलुवालिया, सत्यपाल सिंह और राजेंद्र अग्रवाल, कांग्रेस से मनीष तिवारी ,अधीर रंजन चौधरी और गौरव गोगोई,तृणमूल कॉंग्रेस से अभिषेक बनर्जी बहस में हिस्सा लेंगे।
इस विधेयक के कारण पूर्वोत्तर के राज्यों में व्यापक प्रदर्शन हो रहे हैं और काफी संख्या में लोग तथा संगठन विधेयक का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इससे असम समझौता 1985 के प्रावधान निरस्त हो जाएंगे जिसमें बिना धार्मिक भेदभाव के अवैध शरणार्थियों को वापस भेजे जाने की अंतिम तिथि 24 मार्च 1971 तय है। प्रभावशाली पूर्वोत्तर छात्र संगठन (नेसो) ने क्षेत्र में दस दिसम्बर को 11 घंटे के बंद का आह्वान किया है।
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इन लोगों को मिल सकेगी नागरिकता
नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019 के मुताबिक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न के कारण 31 दिसम्बर 2014 तक भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को अवैध शरणार्थी नहीं माना जाएगा बल्कि उन्हें भारतीय नागरिकता दी जाएगी। यह विधेयक 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा का चुनावी वादा था। भाजपा नीत राजग सरकार ने अपने पूर्ववर्ती कार्यकाल में इस विधेयक को लोकसभा में पेश किया था और वहां पारित करा लिया था। लेकिन पूर्वोत्तर राज्यों में प्रदर्शन की आशंका से उसने इसे राज्यसभा में पेश नहीं किया। पिछली लोकसभा के भंग होने के बाद विधेयक की मियाद भी खत्म हो गयी।