नई दिल्ली। गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को कहा कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आने वाले हिंदू तथा पांच अन्य समुदायों के शरणार्थियों को स्वत: भारतीय नागरिकता नहीं मिल जाएगी और उन्हें जरूरी मानदंड पूरा करने के बाद ही भारतीय नागरिक बनने का अधिकार होगा। संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ देश के विभिन्न हिस्सों में प्रदर्शन के बीच इस पर यह स्पष्टीकरण आया है।
अधिकारी ने कहा, ‘‘नये कानून का यह मतलब नहीं है कि सभी शरणार्थियों या अवैध प्रवासियों को स्वत: ही भारतीय नागरिकता मिल जाएगी। उन्हें नागरिकता के लिए आवेदन करना होगा, जिस पर सक्षम अधिकारी विचार करेंगे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘संबंधित आवेदक को जरूरी मानदंडों को पूरा करने के बाद ही भारतीय नागरिकता प्रदान की जाएगी।’’
केंद्र सरकार सीएए के प्रावधानों को अमल में लाने के लिए नियम बनाएगी। अधिकारी के मुताबिक, ‘‘इन समुदायों का कोई भी शरणार्थी स्वत: ही भारतीय नागरिक नहीं बन जाएगा। उसे ऑनलाइन आवेदन करना होगा और सक्षम अधिकारी देखेंगे कि वह भारतीय नागरिक के तौर पर पंजीकरण की सभी पात्रताएं पूरी करता है या नहीं।’’
संशोधित नागरिकता कानून में उक्त तीनों पड़ोसी देशों से यहां आए हिंदू, सिख, बौद्ध, ईसाई, पारसी और जैन समुदाय के शरणार्थियों की खातिर भारत की नागरिकता के लिए आवेदन करने का प्रावधान है, जिन्हें उन देशों में धार्मिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा हो।