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छात्रों ने जामिया बंद को खत्म किया, विश्वविद्यालय में पांच जनवरी तक छुट्टियां

विश्वविद्यालय प्रशासन ने कहा कि जिन लोगों ने शुक्रवार को हिंसा की और पुलिस के साथ संघर्ष किया, वे ‘बाहरी’ थे न कि छात्र थे। जामिया के विद्यार्थियों, शिक्षकों और पूर्व छात्रों ने कहा कि संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने के लिए समन्वय समिति गठित गई है।

Reported by: Bhasha
Published on: December 14, 2019 23:46 IST
Jamia- India TV Hindi
Image Source : PTI Jamia Teachers' Association puts up a banner against the Citizenship (Amendment) Bill and NRC.

नई दिल्ली। जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्रों ने नए नागरिकता (संशोधन) कानून के खिलाफ विश्वविद्यालय बंद को शनिवार को खत्म कर दिया। इससे एक दिन पहले परिसर में हिंसक प्रदर्शन हुए थे। वहीं विश्वविद्यालय प्रशासन ने तनाव के मद्देनजर परीक्षाओं को रद्द करके पांच जनवरी तक छुट्टियों का ऐलान कर दिया।

विश्वविद्यालय प्रशासन ने कहा कि जिन लोगों ने शुक्रवार को हिंसा की और पुलिस के साथ संघर्ष किया, वे ‘बाहरी’ थे न कि छात्र थे। जामिया के विद्यार्थियों, शिक्षकों और पूर्व छात्रों ने कहा कि संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने के लिए समन्वय समिति गठित गई है।

उन्होंने कहा कि यह कानून भेदभावपूर्ण है। कानून के विरोध में छात्रों ने शुक्रवार को संसद की तरफ मार्च करने का प्रयास किया जिसके बाद पुलिस और छात्रों में संघर्ष हो गया। इससे विश्वविद्यालय एक तरह से युद्ध क्षेत्र में तब्दील हो गया। छात्रों ने शनिवार को विश्वविद्यालय को बंद करने का आह्वान किया था और परीक्षाओं का बहिष्कार करने की योजना बनाई थी।

पुलिस ने प्रदर्शन के सिलसिले में अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ दंगा करने और सरकारी कर्मचारियों को ड्यूटी से रोकने के आरोप में मामला दर्ज किया है। जामिया के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सभी परीक्षाएं स्थगित कर दी गई हैं। आने वाले समय में नयी तारीखों की घोषणा की जाएंगी। 16 दिसम्बर से पांच जनवरी तक छुट्टी घोषित की गई है। विश्वविद्यालय छह जनवरी 2020 से खुलेगा।

विश्वविद्यालय के अधिकारी ने बताया, ‘‘विश्वविद्यालय यह स्पष्ट करना और घटना को उचित परिप्रेक्ष्य में रखना चाहता है कि कौन लोग शामिल थे और यह क्यों हुआ। आसपास के इलाकों के हजारों लोग प्रदर्शन स्थल पर छात्रों के साथ जमा हो गए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जिन बाहरी लोगों का विश्वविद्यालय से कुछ लेना देना नहीं था, उन्होंने पुलिस से संघर्ष किया, न कि छात्रों ने ऐसा किया। असल में, छात्रों ने उन्हें ऐसा करने से रोकने की कोशिश की। छात्र संघर्ष में फंस गए जिस वजह से उनमें से कुछ जख्मी हो गए।’’

25 वर्षीय छात्र निहाल अशरफ ने कहा, ‘‘परीक्षा सिर पर थी लेकिन इसे रद्द कर दिया गया। अगर देश में कुछ गलत होता है तो जामिया अपनी आवाज उठाएगा। हमने कक्षा और परीक्षाओं का बहिष्कार किया है। हम लोग अपने अधिकारों के लिए बार-बार मार्च निकालते रहेंगे।’’

बीए राजनीति विज्ञान के छात्र वजाहत (22) ने कहा, ‘‘शुक्रवार को जब हम मार्च निकाल रहे थे तब दिल्ली पुलिस ने हम पर बर्बर हमला किया। हमले के दौरान कई छात्र घायल हो गए। उन्होंने छात्रों पर लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े। हमने परीक्षा का बहिष्कार किया है।’’

एक अन्य छात्र पप्पू यादव ने कहा, ‘‘हर व्यक्ति जीना चाहता है। यह इजराइल या सीरिया नहीं है। हमें बांग्लादेश से सीखना चाहिए कि उन्होंने कैसे चरमपंथियों को मार डाला और आर्थिक लोकतंत्र का चयन किया। सरकार मुख्य मुद्दों पर फोकस नहीं कर रही है।’’ जामिया शिक्षक संघ ने भी विवादित कानून के खिलाफ प्रदर्शन करने से पहले चर्चा करने के लिए अपनी कार्यकारी समिति की आपात बैठक बुलाई थी।

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