नई दिल्ली। संसद में विपक्ष के विरोध के बीच गृह मंत्री अमित शाह ने नागरिकता संशोधन विधेयक पेश कर दिया। इस विधेयक पर विपक्ष के नेताओं ने जमकर सवाल उठाए और हंगामा किया। विपक्ष के हंगामे की बीच गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि मैं सबसे पहले आपके माध्यम से पूरे सदन को और और देश को आश्वस्त करना चाहता हूं कि बिल संविधान के किसी भी आर्टिकल के आहत नहीं करता। आग्रह है कि अनुच्छेद 11 को पूरा पढ़ें।
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, “सभी कह रहे हैं कि अनुच्छेद 14 का विरोध हुआ, मैं जो सदन और देश को आश्वस्त करना चाहता हूं कि बिल संविधान के किसी अनुच्छेद का उल्लंघन नहीं करता है। ऐसा नहीं है कि पहली बार सरकार नागरिकता के बारे में कानून ला रही है। इंदिरा गांधी ने बांग्लादेश के बारे में कानून लाया था,पाकिस्तान से आए लोगों के लिए क्यों नहीं लाया? यूगांडा से आए लोगों को भी कांग्रेस शासन में नागरिकता दी गयी। इंग्लैंड से आए लोगों को क्यों नही?”
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिंदू, सिख, बौद्ध, ईसाई, पारसी और जैन धर्म के लोगों से भेदभाव हुआ। यह बिल इन सताए हुए लोगों को नागरिकता देगा। यह आरोप गलत है कि ये बिल मुस्लिमों के अधिकार छीन लेगा।अमित शाह ने आगे कहा, “आज हमें इस बिल की क्या जरूरत है? आजादी के बाद अगर कांग्रेस ने धर्म के आधार पर विभाजन नहीं किया होता तो आज हमें इस बिल की जरूरत नहीं पड़ती। कांग्रेस ने धर्म के आधार पर विभाजन किया।”
गृह मंत्री ने आगे कहा कि अगर इन तीन देशों में से कोई मुस्लिम भारतीय कानून के अनुसार नागरिकता के लिए अप्लाई करता है तो हम इस पर विचार करेंगे, लेकिन व्यक्ति को इस संशोधन का लाभ नहीं मिलेगा, क्योंकि व्यक्ति ने धार्मिक उत्पीड़न का सामना नहीं किया है।