कोंडागांव: छत्तीसगढ़ के आदिवासी बाहुल्य कोंडागांव जिले में कुछ स्थानीय लोगों द्वारा ईसाई धर्म को मानने वाले लोगों के घरों में कथित रूप से तोड़फोड किए जाने के बाद जिले के कुछ गांवों में तनाव उत्पन्न हो गया, जिसके बाद बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है। पुलिस ने बृहस्पतिवार को कहा कि स्थिति नियंत्रण में है। वहीं छत्तीसगढ़ क्रिश्चन फोरम (सीसीएफ) ने इस मामले की उच्च स्तरीय जांच कराने तथा पीड़ितों को मुआवजा देने की मांग की है। बस्तर क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी ने बृहस्पतिवार को बताया कि कोंडागांव जिले के काकड़ाबेड़ा, सिंगनपुर, तिलियाबेड़ा, सिलाटी और जोंड्राबेड़ा गांव में पिछले कुछ दिनों में हुए तनाव को देखते हुए सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है।
सुंदरराज ने बताया कि जानकारी मिली है कि कुछ आदिवासी परिवार पिछले पांच-छह वर्षों में ईसाई धर्म को मानने लगे हैं। उन्होंने कहा कि इससे वहां रहने वाले अन्य आदिवासी परिवारों को इस बात को लेकर आपत्ति है कि ईसाई धर्म मानने वाले परिवार आदिवासी रीति रिवाजों का पालन नहीं कर रहे हैं और इसे लेकर इन गांवों में पिछले कुछ दिनों से तनाव है। उन्होंने बताया कि जब पुलिस को मामले की जानकारी मिली तब गांवों के लिए पुलिस दल रवाना किया गया तथा वरिष्ठ अधिकारियों ने ग्रमाीणों को समझाया बुझाया भी।
उन्होंने कहा कि क्षेत्र में स्थिति नियंत्रण में है तथा शांति है। पुलिस अधिकारी ने बताया कि क्षेत्र में शांति बनाए रखने के लिए पुलिस जरूरी कानूनी कार्रवाई कर रही है। इधर छत्तीसगढ़ क्रिश्चन फोरम के अध्यक्ष अरूण पन्नालाल ने बताया कि कोंडागांव जिले के काकड़ाबेड़ा, सिलाटी और सिंगनपुर गांव में इस महीने की 22 और 23 तारीख को ग्रामीण एकत्र हुए और ईसाई धर्म को मामने वाले कम से कम 14 परिवारों के घरों में तोड़फोड की। पन्नालाल ने बताया कि इन परिवारों में लगभग 53 सदस्य हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि इन परिवारों को ग्रामीण पिछले कुछ दिनों से लगातार परेशान कर रहे हैं तथा उन्हें ईसाई धर्म छोड़ने के लिए कहा जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की उपस्थिति के बावजूद पिछले दो दिनों के दौरान इन परिवारों के घरों में तोड़फोड़ की गई। पन्नालाल ने बताया कि कुछ प्रभावित परिवारों को रायपुर लाया गया है और जल्द ही इस मामले को लेकर उच्च न्यायालय जाएंगे।
उन्होंने कहा कि फोरम ने पीड़ित परिवारों को 10 लाख रूपए मुआवजा देने की मांग की है। उन्होंने कहा कि साथ ही फोरम ने आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने तथा उच्च न्यायालय या जिला न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश से इस मामले की जांच कराने की भी मांग की है।