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Pangong Tso झील पर भी पीछे हटी चीनी सेना, Finger 4 से Finger 5 पर पहुंची- सूत्र

सरकारी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, चीनी सेना Finger 4 से Finger 5 की तरफ चली गई है। 

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published : July 09, 2020 20:15 IST
Ladakh
Image Source : AP Representational Image

नई दिल्ली. लद्दाख में LAC पर अब तनाव कुछ कम हो नजर आ रहा है। पूर्वी लद्दाख के हॉट स्प्रिंग्स तथा ग्रोगा में टकराव वाले स्थानों से पीछे हटने के बाद अब चीनी सेना Pangong Tso झील पर भी पीछे हटी है। सरकारी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, चीनी सेना Finger 4 से Finger 5 की तरफ चली गई है। 

गलवान घाटी, गोग्रा और हॉट स्प्रिंग्स में तीन स्थानों पर तीन किलोमीटर का बफर जोन स्थापित 

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, टकराव की किसी आशंका को टालने के लिए दोनों पक्षों ने गलवान घाटी, गोग्रा और हॉट स्प्रिंग्स में तीन स्थानों पर तीन किलोमीटर का बफर जोन स्थापित कर लिया है। घटनाक्रम से अवगत लोगों ने कहा कि पीएलए ने गोग्रा (गश्त बिंदु 17) से अपने सभी सैनिकों को वापस बुला लिया है और इसी के साथ दोनों पक्षों ने किसी टकराव को टालने के लिए वापसी के पहले चरण को पूरा कर लिया है।

घटनाक्रम से अवगत लोगों ने कहा कि पीएलए ने गोग्रा (गश्त बिंदु 17) से अपने सभी सैनिकों को वापस बुला लिया है और इसी के साथ दोनों पक्षों ने किसी टकराव को टालने के लिए वापसी के पहले चरण को पूरा कर लिया है। भारत इस बात पर जोर दे रहा है कि चीन को ‘फिंगर’ 4 और 8 के बीच के क्षेत्रों से अपनी सेना वापस बुलानी चाहिए। दोनों पक्षों के बीच कोर कमांडर-स्तरीय बातचीत का चौथा दौर अगले दो-तीन दिनों में होने की संभावना है।

दोनों सेनाएं अगले कुछ दिनों में एक संयुक्त सत्यापन भी करेंगी ताकि वापसी प्रक्रिया के कार्यान्वयन का आकलन किया जा सके। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच रविवार को टेलीफोन पर करीब दो घंटे हुई बातचीत के बाद सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया सोमवार को सुबह शुरू हुई। वार्ता के दौरान दोनों पक्षों ने टकराव वाले सभी बिंदुओं से सैन्यबलों की तेजी से वापसी पर सहमति जताई, ताकि क्षेत्र में शांति कायम की जा सके।

डोभाल और वांग सीमा संबंधी वार्ताओं के लिए विशेष प्रतिनिधि हैं। वार्ता के बाद गलवान घाटी, हॉट स्प्रिंग्स, गोग्रा और पैंगोंग से बलों की वापसी की प्रक्रिया शुरू हो गई। सैन्य सूत्रों ने कहा कि भारतीय सेना वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास अपनी आक्रामक मुद्रा कायम रखेगी, जब तक चीनी पक्ष अपने पीछे के अड्डों में महत्वपूर्ण निर्माण को समाप्त नहीं कर देता। कोर कमांडर स्तर की 30 जून को हुई वार्ता में लिए गए फैसले के अनुसार, दोनों पक्ष गतिरोध वाले अधिकतर इलाकों में तीन किलोमीटर का न्यूनतम बफर क्षेत्र बनाएंगे।

भारत और चीन की सेनाओं के बीच पूर्वी लद्दाख में कई स्थानों पर पिछले करीब आठ सप्ताह से गतिरोध की स्थिति बनी हुई है। स्थिति तब और बिगड़ गई थी, जब 15 जून को गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हो गए। क्षेत्र में तनाव कम करने के लिए पिछले कुछ सप्ताह से दोनों देशों के बीच कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर कई बार वार्ता हो चुकी है। हालांकि रविवार की शाम तक गतिरोध के अंत का कोई संकेत नहीं था। दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों के बीच गत 30 जून को लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की तीसरे दौर की बातचीत हुई थी जिसमें दोनों पक्ष गतिरोध को समाप्त करने के लिए ‘‘प्राथमिकता’’ के रूप में तेजी से और चरणबद्ध तरीके से कदम उठाने पर सहमत हुए थे।

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