नई दिल्ली: चीन द्वारा इस साल भारत में ब्रिक्स सम्मेलन की मेजबानी का समर्थन किए जाने के बाद अटकलें लगाई जा रही हैं कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए भारत आ सकते हैं। हालांकि, चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने स्पष्ट नहीं किया है कि इस साल होने वाले सम्मेलन में राष्ट्रपति शी चिनफिंग शामिल होंगे या नहीं। वहीं इस मामले पर साउथ ब्लॉक का कहना है कि सम्मेलन के लिए ना तो अभी तक तारीख तय है और ना ही अभी यह फाइनल है कि फॉर्मेट क्या होगा, क्योंकि महामारी से अभी राहत मिलती नहीं दिख रही है।
बता दें कि शी जिनपिंग के संभावित दौरे को लेकर चर्चा तब शुरू हुई जब चीन ने इस साल भारत द्वारा ब्रिक्स सम्मेलन की मेजबानी का समर्थन किया। चीन ने कहा कि वह पांच उभरती अर्थव्यवस्थाओं के संगठन ब्रिक्स में सहयोग को मजबूत करने के लिए नयी दिल्ली के साथ मिलकर काम करेगा। गौरतलब है कि भारत इस साल ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका के संगठन ब्रिक्स की अध्यक्षता करेगा। भारत की तैयारी ब्रिक्स वार्षिक सम्मेलन की मेजबानी करने की है।
विदेशमंत्री एस जयशंकर ने 19 फरवरी को नयी दिल्ली स्थित सुषमा स्वराज भवन स्थित ब्रिक्स सचिवालय में भारत का ब्रिक्स-2021 वेबसाइट की शरुआत की थी। इस साल ब्रिक्स की अध्यक्षता भारत द्वारा संभालने को लेकर पूछे गए सवाल पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने मीडिया ब्रीफिंग में कहा बीजिंग, नयी दिल्ली की मेजबानी में शिखर सम्मेलन आयोजित कराने का समर्थन करेगा।
वांग ने कहा, ‘‘उभरती अर्थव्यवस्थाओं एवं विकासशील देशों के के वैश्विक प्रभाव के साथ ब्रिक्स सहयोग की प्रणाली है। हाल के वर्षों में वृहद एकजुटता एवं गहरी व्यवहारिक सहयोग और वृहत्तर प्रभाव देखने को मिला है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अंतरराष्ट्रीय मामलों में ब्रिक्स अब सकारात्मक, स्थिर एवं सृजनात्मक शक्ति है।’’ वांग ने कहा, ‘‘हम दृढ़ एकजुट एवं सहयोग के लिए रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘हम इस साल सम्मेलन की मेजबानी करने के लिए भारत का समर्थन करेंगे एंव अन्य सदस्यों के साथ संवाद को मजबूत करने, सहयोग के तीन स्तंभों को दृढ़ करने, ब्रिक्स के तहत अधिक प्रगति करने एवं ब्रिक्स प्लस सहयोग बढ़ाने के लिए, कोविड-19 को हराने, आर्थिक विकास बहाल करने एवं वैश्विक शासन में सुधार करने के लिए काम करेंगे।"
2006 में समूह के गठन के बाद से भारत ने तीसरी बार अध्यक्षता संभाली है। भारत को तीसरी बार यह मौका ऐसे समय पर मिला है जब नई दिल्ली और बीजिंग का रिश्ता बेहद तनावपूर्ण दौर से गुजर रहा है। पिछले 9 महीने से सीमा पर दोनों देशों के सैनिक टकराव की पोजिशन में हैं। हालांकि, हाल ही में लद्दाख के पैंगोंग झील के किनारे से दोनों देशों के सैनिक पीछे हटे हैं और इसके बाद अन्य जगहों से सैनिकों को पीछे हटाने के लिए बातचीत चल रही है।
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