लद्दाख। चीन की सेना (PLA) गलवान घाटी के पेट्रोल प्वाइंट 14 से अपने अस्थाई ढांचे हटा लिए हैं और लगभग 2 किलोमीटर का इलाका अब पूरी तरह से खाली हो गया है। इंडिया टीवी को सेना के सूत्रों से यह जानकारी मिली है। इंडिया टीवी को मिली जानकारी के मुताबिक रविवार को भारतीय सेना की फिजिकल वेरिफिकेशन में यह पता चला है कि चीन की सेना ने अस्थाई टेंट हटा लिए हैं। हालांकि सेना की तरफ से अभी तक इस जानकारी की आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं की गई है। सूत्रों के मुताबिक अभी सिर्फ गलवान घाटी के पेट्रोल प्वाइंट 14 से ही चीनी सेना पीछे हटी है जबकि पैंगोंग त्सो झील, डेपसांग और गोगरा पोस्ट के क्षेत्रों में अभी तक पहले वाली स्थिति बनी हुई है।
सूत्रों के मुताबिक चीन की सेना ने गलवान घाटी के पेट्रोल प्वाइंट 14 से अपनी गाड़ियां भी पीछे हटा ली है। सूत्रों के मुताबिक सेना के फिजिकल वेरिफिकेशन में गाड़ियां पीछे हटाई जाने की पुष्टि हुई है। सूत्रों के मुताबिक पेट्रोल प्वाइंट 14 में दोनो पक्ष आमने सामने से हट गए हैं। हालांकि इस बात को लेकर सेना का आधिकारिक बयान अभी तक नहीं कआया है और जबतक आधिकारिक तौर पर भारतीय सेना इसकी पुष्टि नहीं करती तबतक चीन पर भरोसा करना अच्छा नहीं होगा।
चीन की सेना ने दोनो देशों के बीच हुए समझौते का उलंघन किया था जिसके बाद भारत और चीन के सैनिकों के बीच 15 जून को हिंसक झड़प हुई थी, झड़प में भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए थे जबकि चीन के 43 सैनिकों के मारे जाने की खबर है। इस घटना के बाद दोनो देशों के बीच तनाव बढ़ गया है, हालांकि तनाव को कम करने के लिए भारत और चीन के बीच कमांडर स्तर पर बातचीत हो रही है। कमांडर स्तर की बात के हर दौर में चीन की फौज को भारतीय फौज अप्रैल 2020 वाली स्थिति में लौटने के लिए कह रही है और हो सकता है कि गलवान में पेट्रोल प्वाइंट 14 से हटकर चीन ने इसकी पहल कर दी हो।
हालांकि सूत्रों का यह भी कहना है कि बर्फ पिघलने की वजह से गलवान नदी उफान पर आ चुकी है और इस वजह से भी चीनी सैनिकों को अपने अस्थाई ढांचे हटाने पर मजबूर होना पड़ा होगा।
चीन पर दबाव डालने के लिए न सिर्फ भारतीय फौज लद्दाख में चीनी फौज के सामने चट्टान की तरह खड़ी है बल्कि भारत सरकार ने भी हाल के दिनों में कई ऐसे कदम उठाए हैं जिससे चीन बैकफुट पर है। केंद्र ने चीन की 59 मोबाइल एप्लीकेशन पर प्रतिबंध लगा दिया है।