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चीन बदल सकता है सुर, कर सकता है NSG पर भारत का समर्थन बशर्ते...

नयी दिल्ली: परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (NSG) में भारत के प्रवेश को लेकर हालंकि चीन के रुख़ में फिलहाल कोई बदलाव नही आया है लेकिन चीनी सरकारी मीडिया का कहना है कि अगर भारत नियमों के

India TV News Desk
Published : June 17, 2016 10:29 IST
China Vice-Minister for Foreign Affairs Liu Zhenmin, Modi- India TV Hindi
China Vice-Minister for Foreign Affairs Liu Zhenmin, Modi

नयी दिल्ली: परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (NSG) में भारत के प्रवेश को लेकर हालंकि चीन के रुख़ में फिलहाल कोई बदलाव नही आया है लेकिन चीनी सरकारी मीडिया का कहना है कि अगर भारत नियमों के साथ चलता है तो चीन को परमाणप क्लब में भारत के दाख़िले पर कोई ऐतराज़ नहीं होगा।

ग़ौरतलब है की चीन इस क्लब में भारत के प्रवेश का विरोध कर रहा है। उसका कहना है कि अगर भारत को NSG की सदस्यता मिल जाती है तो दक्षिण एशिया में सामरिक संतुलन बिगड़ जाएगा। उसका ये भी कहना है कि अगर भारत को इसका सदस्य बनाया जाता है तो पाकिस्तान को भी प्रवेश मिलना चाहिये वर्ना पाकिस्तान पीछे छूट जाएगा और भारत-पाकिस्तान के बीच परमाणु संतुलन बिगड़ जाएगा क्योंकि क्लब में प्रवेश के बाद भारत एक वैद्ध परमाणु ताक़त बन जाएगा।

तुर्की, द. अफ़्रीका भी गिर सकते हैं भारत के पाले में

आपको बता दें कि भारत ने NSG में प्रवेश के लिए अमेरिका, स्विटज़रलैंड, मैक्सिको और न्यूज़ीलैंड का समर्थन जुटा लिया है। अब सिर्फ दक्षिण अफ़्रीका, तुर्की, आयरलैंड और ऑस्ट्रिया अड़े हुए हैं। लेकिन संभावना है कि देर सबेर तुर्की और द.अफ़्रीका भारत के पाले में आ जाएंगे।

चीनी मीडिया का मानना है कि मौजूदा परिस्थितियों में लगता है कि NSG में भारत के दाख़िले का राह आसान होती जा रही है। मीडिया ने ये भी लिखा है कि भारत ने परमाणु अप्रसार संधि (NPT) और समग्र परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि (CTBT) पर हस्ताक्षर नही किए हैं और यही वजह है कि भारत इस क्लब का सदस्य बनने की योग्यता नहीं रखता है।

क्या शर्त है NSG के सदस्य बनने की?

NSG में वीटो का मामला नहीं होता यानी किसी सदस्य देश को इतना अधिकार नहीं है कि वह किसी फ़ैसले को पलट दे लेकिन हां कोई देश तभी सदस्य बन सकता है जब सब में आम सहमति हो। अमेरिका का भारत का खुलकर समर्थन करना भारत के पक्ष में सबसे बड़ी बात है। अमेरिका ने की देशों को ख़त लिखकर भारत के लिए समर्थन मांगा है और ज़ाहिर है इन देशों के लिए अमेरिका की बात को नाकारना आसान नहीं होगा। अमेरिका उन देशों को भी मना रहा है जो भारत का विरोध कर रहे हैं। 

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