नई दिल्ली: चीन एक फिर भारत से लगते अपने सीमावर्ती इलाकों में बड़ी संख्या में फाइटर जेट, यूएवी, टैंक और तोपखानों की तैनाती कर रहा है। जानकारी के मुताबिक चीन ने अपने नगारी गुनसा एयरबेस पर बड़ी संख्या में लड़ाकू विमानों और य़ूएवी को तैनात किया है। इसके अलावा नागारी इलाके में बड़ी संख्या में टैंक और आर्टिलरी को भी उसने तैनात कर रखा है। यह इलाका पैंगोंग त्सो से करीब 100 किमी की दूरी है।
एलएसी के करीब चीन द्वारा युद्धक साजो सामान की बड़े पैमाने पर तैनाती ने स्वाभाविक तौर पर भारत की चिंताएं बढ़ा दी है। इस तरह की भारी तैनाती से चीन की मंशा पर एक बार फिर संदेह पैदा हो रहा है। भारतीय सेना चीन की इस तैनाती पर निगरानी रखे हुए है। भारतीय सेना के मुताबिक वह पूरे हालात पर नजर बनाए हुए है। चीन की पीएलए वहां अपनी तैनाती बढ़ा रही है और भारतीय सेना ने भी उसी मुताबिक तैयारी कर रखी है।
गौरतलब है कि एलएसी पर पिछले साल से जारी तनाव को कम करने के लिए दोनों देशों के बीच विभिन्न स्तरों पर कई बार बातचीत हो चुकी है। लद्दाख के इलाके में दोनों देशों की सेनाएं कुछ प्वाइंट से पीछे भी हटी हैं लेकिन जिस तरह से चीन एलएसी पर तैनाती बढ़ा रहा है उससे उसके मकसद पर संदेह होना स्वभाविक है।
आपको बता दें कि अभी हाल में भारत और चीन के बीच ताजा सैन्य स्तरीय वार्ता में 17 महीने से पूर्वी लद्दाख में जारी गतिरोध के लंबित मुद्दों का समाधान नहीं निकला था। भारतीय सेना ने कहा कि उसके द्वारा दिए गए ‘सकारात्मक सुझावों’ पर चीनी सेना सहमत नहीं हुई और ना ही बीजिंग ने आगे बढ़ने की दिशा में कोई प्रस्ताव दिया। भारतीय सेना ने जो वक्तव्य जारी किया, उसमें मामले पर उसके कड़े रुख का संकेत मिला।
सेना ने कहा कि रविवार को 13वें दौर की बैठक में, बाकी के क्षेत्रों में मुद्दों का समाधान नहीं निकला और भारतीय पक्ष ने जोर देकर कहा कि वह चीनी पक्ष से इस दिशा में काम करने की उम्मीद करता है। भारतीय सेना ने कहा कि वार्ता के दौरान भारतीय पक्ष ने इस बात का उल्लेख किया कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर जो हालात बने वे यथास्थिति को बदलने के चीन के ‘एकतरफा प्रयासों’ के कारण पैदा हुए हैं और यह द्विपक्षीय समझौतों का उल्लंघन भी करते हैं।
सेना ने एक वक्तव्य में कहा, ‘‘वार्ता के दौरान भारतीय पक्ष ने बाकी के क्षेत्रों में मुद्दों के समाधान के लिए सकारात्मक सुझाव दिए, लेकिन चीनी पक्ष उनसे सहमत नहीं लगा और वह आगे बढ़ने की दिशा में कोई प्रस्ताव भी नहीं दे सका। अत: बैठक में बाकी के क्षेत्रों के संबंध में कोई समाधान नहीं निकल सका।’’ गतिरोध के लिए दोनों पक्षों ने एक दूसरे पर दोष मढ़ा, वहीं पता चला है कि भारतीय पक्ष ने पेट्रोलिंग पॉइंट 15 (पीपी-15) से सैनिकों की वापसी की रूकी हुई प्रक्रिया का मुद्दा और देप्सांग तथा डेमचक से जुड़े मुद्दे भी वार्ता में उठाए।
बीजिंग में, चीन की पीएलए की वेस्टर्न थियेटर कमान ने जारी एक वक्तव्य में कहा, ‘‘भारत ने तर्कहीन और अवास्तविक मांगों पर जोर दिया, जिससे वार्ता में कठिनाई हुई।’’ उसने कहा कि सीमा पर ‘‘हालात को तनावरहित और शांत करने के लिए चीन ने बहुत अधिक प्रयास किए और अपनी ओर से गंभीरता का पूरी तरह से प्रदर्शन किया।’’
इससे पहले, भारत और चीन के बीच 31 जुलाई को 12वें दौर की वार्ता हुई थी। कुछ दिन बाद, दोनों देशों की सेनाओं ने गोगरा से अपने सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी की थी और इसे क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता की बहाली की दिशा में एक बड़ा एवं उल्लेखनीय कदम माना गया था। एलएसी पर संवेदनशील क्षेत्र में इस समय प्रत्येक पक्ष के करीब 50,000 से 60,000 सैनिक तैनात हैं। (इनपुट-भाषा)