बीजिंग: चीन के एक ‘थिंक टैंक’ की ओर से कहा गया है कि तालिबान के सामने कई चुनौतियां हैं जिनमें एकता और एक खुले विचारों वाली तथा समावेशी सरकार बनाना शामिल है। ग्लोबल टाइम्स में शनिवार को प्रकाशित एक आलेख में कहा गया है कि “सदाबहार सहयोगी” चीन और पाकिस्तान को साथ मिलकर तालिबान को अपनी प्रतिबद्धताओं का क्रियान्वयन करने के लिए मनाना चाहिए।
आलेख में कहा गया, “चीन और पाकिस्तान को अफगान मुद्दे पर साथ आकर अफगान तालिबान को खुले विचारों वाली समावेशी सरकार बनाने और लचीली घरेलू तथा विदेश नीति के क्रियान्वयन के लिए मनाना चाहिए।” सरकार द्वारा संचालित ‘शंघाई अंतरराष्ट्रीय अध्ययन संस्थान’ के चीन-दक्षिण एशिया सहयोग शोध केंद्र के महासचिव लिउ जोंगी द्वारा लिखे गए आलेख में कहा गया, “वर्तमान में अफगान तालिबान का बयान अतीत से बिलकुल अलग है लेकिन हमें नहीं पता कि भविष्य में वह क्या नीति अपनाएंगे।”
लिउ ने लिखा, “अफगान तालिबान के सामने अब कई गंभीर चुनौतियां हैं। पहली है अफगान तालिबान की एकता। दूसरी, अफगान तालिबान समावेशी और खुले विचारों वाली सरकार बनाना चाहते हैं या नहीं।” उन्होंने लिखा, “तीसरा, भोजन की कमी से मानवीय और शरणार्थियों की आपदा आ सकती है। चौथा, वे अंतरराष्ट्रीय समुदाय से सहायता और मान्यता चाहते हैं लेकिन उसी समय उन्हें विश्व की कुछ सबसे शत्रुतापूर्ण ताकतों से प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है।”
आलेख में कहा गया कि चीन और पाकिस्तान “सदाबहार रणनीतिक साझेदार हैं” और उन्हें क्षेत्रीय सुरक्षा तथा स्थायित्व के लिए साथ मिलकर काम करना चाहिए। आलेख में रणनीतिक विशेषज्ञों की उन बातों की भी आलोचना की गई है जिनमें कहा जा रहा है कि तालिबान द्वारा सत्ता पर काबिज होना चीन और पाकिस्तान की सफलता है।